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सूफी संतों की मजारों पर तीन दिवसीय उर्स 13 सितंबर से होगा शुरू

अतरौलिया आजमगढ़। तहसील बूढ़नपुर अंतर्गत ग्राम पहाड़ी सरैया स्थित दो सूफी संतों की मजारों पर तीन दिवसीय उर्स 13 सितंबर से शुरू होगा। उर्स में जायरीनों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं। मजार के गद्दी नसीन  हजरत सैयद शाह अल्हाज हामिद हसन अल जिलानी व सैयद अशरफ जिलानी ने बताया कि 13 सितंबर को बाद नमाज मगरिब जश्ने ईद मिलादुन्नबी व तक्सीम लंगर तथा 14 सितंबर को सुबह 8:00 बजे चादरपोशी, बाद नमाज मगरिब खत्म ख्वाजगाने नक्शबंदी व बाद नमाजे ईसां जश्ने  दस्तारबंदी का प्रोग्राम होगा। तथा 15 सितंबर को कुरान ख्वानी ,चादर पोशी, कुल शरीफ व मिलाद शरीफ का प्रोग्राम रखा गया है। जिसमें मुकामी उलेमा और शोयरा के साथ-साथ बाहरी ओल्मा व  शायर तशरीफ़ ला रहे हैं। ज्ञात हो कि पहाड़ी सरैया में दो प्रसिद्ध सूफी मखदूम सैयद हाफिज शाह मोहम्मद तकी जीलानी व हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद कासिम जीलानी की मजार है। मजार के संबंध में यहां के गद्दीनशीं हजरत सैयद हामिद हसन जिलानी ने बताया कि उनके बाबा हुजूर सैयद ताकि जो बहुत ही परहेजदार व सूफी थे। उनका इंतकाल 1950 में हो गया। उन्हें यहीं बाग में सुपुर्द -ए-खाक किया गया। और मजार के चारों तरफ चहार दीवारी बनाई गई। वहां एक बड़ा मदरसा और मस्जिद का निर्माण कराया गया। प्रत्येक गुरुवार को यहां मेला लगने लगा। उसके बाद उनके इकलौते पुत्र हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद कासिम का इंतकाल 18 जुलाई 2002 को हुआ ।उन्हें भी मजार के पूरब में दफना दिया गया। यह मजार अतरौलिया अतरैठ मार्ग से 8 किलोमीटर दूर पहाड़ी सरैया गांव में स्थित है। इन मजारों पर लगने वाले सालाना उर्स में हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों की भीड़ उमड पड़ती है। यहां पर वर्ष भर प्रत्येक गुरुवार को मेला लगता है। इस दिन विभिन्न रोगों एवं प्रेत बाधाओं से पीड़ित व्यक्ति आकर मत्था देखते हैं। और अपनी मनोकामना पूरी होने पर मजार पर चादर चाहते हैं। उर्स में भाग लेने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा देश- प्रदेश के कोने-कोने से लोग आते हैं। और अपनी मनोकामना के लिए दुआएं मांगते हैं।


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