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UP में कौन चुरा रहा है छोटे-छोटे बच्‍चे को 4 महीने में 82 मासूम गायब; 79 का सुराग नहीं- गोरखपुर

गोरखपुर। गोरखपुर जोन के 4 जिलों से पिछले 4 महीने में 82 मासूम गायब हो गए। इनमें से 79 का अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। यहां तक कि बांसगांव इलाके में एक बच्चे की हत्या के 45 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।
गोरखपुर के बांसगांव इलाके में एक बच्चे की हत्या के 45 दिन बाद भी हत्यारे के बारे में पुलिस सुराग नहीं लगा सकी है। नवरात्र के पहले दिन यह बच्चा गायब हुआ और उसकी गला रेत कर हत्या कर झाड़ियों में शव फेंक दिया गया था। वहीं चिलुआताल इलाके से पिछले सप्ताह डेढ़ महीने के बच्चे को उसकी मां से छीनकर फरार हुए युवक-युवती की तलाश में भी पुलिस खाली हाथ है। यही नहीं जोन के चार जिलों में बीते चार महीने में 82 बच्चे गायब हो चुके हैं लेकिन इनमें 79 के बारे में पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
एक जनवरी 2022 से 30 अप्रैल तक चार जिलों में 35 बच्चे और 47 बच्चियों समेत कुल 82 मासूम लापता हुए हैं। देवरिया में सात बच्चे व 16 बच्चियां कुल 23। गोरखपुर में 10 बच्चे व 6 बच्चियां कुल 16। कुशीनगर में 15 बच्चे और 13 बच्चियां कुल 28। महराजगंज में 3 बच्चे और 12 बच्चियां कुल 15 लापता हुए। सभी मामलों में पुलिस ने केस दर्ज किया है। इनकी सूचना ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड साफ्टवेयर में भी फीड किया है व तलाश का दावा कर रही है। चिलुआताल के महेसरा से ईंट भह्वे पर काम करने वाली महिला के डेढ़ महीने के बच्चे को लेकर एक युवक व युवती फरार हो गए। पुलिस को न तो युवक-युवती मिले न ही बच्चा।
पुलिस अफसरों का कहना है कि नियम के अनुसार बच्चों के लापता होने पर उनका पोस्टर थाने के अलावा चौराहों पर चस्पा किया जाए। दूरदर्शन सहित समाचार पत्रों में भी सूचना दी जाए। इसके अलावा बच्चों के केस में धारा 363 व 366 का केस दर्ज हो और डीसीआरवी, एनसीआरवी को भी डिटेल भेजी जाए। बड़ों के गायब होने की दशा में गुमशुदगी दर्ज कर तलाशने की यही पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है।
तो भगवान भरोसे मिल जाते हैं लापता बच्चे!
पिछले सप्ताह ही बेलघाट पुलिस ने लापता बच्चे को बरामद कर परिजनों को सौंपा था। बच्चा 9 मई को लापता हुआ था जिसे पुलिस ने 11 मई को बरामद किया था। इसी तरह झंगहा पुलिस ने एक माह पूर्व लापता तीन बहनों को मध्यप्रदेश से बरामद किया था। हालांकि बरामदगी की कहानी कुछ ऐसी होती है, जैसे कोई बच्चा गुम हुआ और संयोग से कहीं किसी आम नागरिक को मिल गया और उसने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस बच्चों को तत्काल परिजनों को सौंप देती है और इन मामलों में गुमशुदगी भी दर्ज नहीं करती। एक माह पूर्व ही इंजीनियरिंग कॉलेज पर एक लापता बच्चा दुकानदार को दिख गया दुकानदार ने फोन कर पुलिस को बताया। इसके बाद पुलिस ने परिजनों की तलाश कर उसे सौंप दिया।


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