पुलिस हिरासत में युवक की संदिग्ध मौत मामले का मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज न होना संदेश के घेरे में
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने आजमगढ़ जिले के तरवां थाने में युवक शनि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) आजमगढ़ से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में दावा किया कि यह मामला पुलिस हिरासत में मौत का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि स्वयं SSP आजमगढ़ हेमराज मीणा ने इस मामले में कुछ पुलिस कर्मियों को दोषी मानते हुए उन्हें निलंबित किया था। इसके बावजूद, इस मामले में अभी तक प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं की गई है, जो बेहद आपत्तिजनक है। ठाकुर ने इसे पुलिस कर्मियों को बचाने की कोशिश करार दिया।
मानवाधिकार आयोग ने SSP आजमगढ़ को निर्देश दिया है कि वे इस मामले की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करें और जांच प्रक्रिया में अमिताभ ठाकुर को शामिल करें। आयोग ने SSP को 8 मई तक अपनी आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई 2025 को होगी















































































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