महान सम्राट अशोक मौर्य का मनाया गया विश्वव्यापी जयंती, इतिहास....
सम्राट अशोक मौर्य भारतीय इतिहास के उन महान शासकों में से एक विशेष और सर्वोपरि स्थान हैं जिनकी छाप आज भी जीवित है। विश्व की सबसे बड़ी प्राचीन मौर्य साम्राज्य के तीसरे सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया, परंतु उनकी वास्तविक पहचान कलिंग युद्ध के पश्चात् आये उनके बदलाव और अहिंसा, धर्म तथा बौद्ध दर्शन के प्रचार से हुई। आज, उनकी जयंती न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।
अशोक मौर्य का शासनकाल चौथी सदी ईसा पूर्व में रहा। मौर्य साम्राज्य की स्थापना और उसका विस्तार पहले से ही एक विशाल सामरिक और प्रशासनिक संरचना का परिचायक था। अशोक ने, अपने पूर्वज चंद्रगुप्त मौर्य और बिन्दुसार के पदचिन्हों पर चलते हुए, एक समृद्ध और सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण किया। उनके शासनकाल में न्याय, धर्म और सामाजिक कल्याण के सिद्धांतों को प्रमुखता दी गई।
कलिंग युद्ध अशोक के जीवन का निर्णायक क्षण था। इस युद्ध में हुए अपार जनहानि और मानवीय त्रासदी ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। युद्ध के बाद, अशोक ने अपने कर्तव्यों और आदर्शों का पुनर्मूल्यांकन किया और अहिंसा तथा धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इसी परिवर्तन ने उनके शासनकाल में एक नयी दिशा का संचार किया और उन्होंने ‘धम्म’ के संदेश को व्यापक रूप से फैलाना शुरू किया।
अशोक ने अहिंसा, करुणा और सहिष्णुता के मूल्यों को अपनाया और इन्हें राज्य नीति का हिस्सा बनाया। उन्होंने न केवल अपने प्रजाजन के लिए बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए शांति, नैतिकता और धर्म का संदेश दिया। अशोक के शासनकाल में अनेक स्तूप, स्मारक और अभिलेख बनवाए गए, जिनमें उनके द्वारा प्रवर्तित धम्म के संदेशों को अंकित किया गया। ये अभिलेख आज भी इतिहासकारों और विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
सम्राट अशोक की विरासत इतनी व्यापक है कि उनकी जयंती आज पूरी दुनिया में विभिन्न आयामों में मनाई जाती है।
सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम: विभिन्न देशों में अशोक के आदर्शों और उनके द्वारा प्रवर्तित अहिंसा के संदेश को उजागर करने के लिए संगोष्ठियाँ, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बौद्ध समुदाय के बीच, विशेषकर उन देशों में जहाँ बौद्ध धर्म की जड़ें गहरी हैं, अशोक की जयंती पर धार्मिक प्रवचन, ध्यान सत्र और स्मारक यात्राएं आयोजित की जाती हैं।
अशोक के अहिंसा और करुणा के सिद्धांत आज भी विश्व भर में शांति के प्रतीक माने जाते हैं। उनके स्मारकों और अभिलेखों के माध्यम से, लोगों को एक दूसरे के प्रति सहिष्णुता और प्रेम की प्रेरणा मिलती है।
सम्राट अशोक मौर्य न केवल भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, बल्कि उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, धर्म और सामाजिक न्याय के सिद्धांत आज के वैश्विक संदर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनकी जयंती मनाने का उद्देश्य न केवल उनके जीवन और उपलब्धियों को याद करना है, बल्कि उनके आदर्शों के प्रकाश में एक शांतिपूर्ण और समरस समाज का निर्माण करने की प्रेरणा लेना भी है।
आज जब दुनिया विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं के बीच अपने-अपने रास्ते तलाश रही है, तब अशोक के संदेश की प्रासंगिकता और भी उजागर हो जाती है। उनकी विरासत, जो सदैव मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी, हमें यह याद दिलाती है कि परिवर्तन और शांति के लिए संघर्ष करना सदैव आवश्यक है।
पांच अप्रैल को सम्पूर्ण विश्व में महान सम्राट अशोक मौर्य की जयंती बड़े जुलूसों, रैलियों, धार्मिक आयोजन के माध्यम से धूमधाम से अशोक मौर्य के वंशजों, अनुवाइयों और सामाजिक एकता के मिशन पर कार्यरत संगठनों द्वारा मनाया गया।
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