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महान फिल्मकार श्याम बेनेगल का निधन

 

मुंबई। महान फिल्मकार श्याम बेनेगल का निधन हो गया है। ठीक 50 साल पहले ‘अंकुर’ से फिल्म निर्माण शुरू करने वाले श्याम बाबू ने 90 साल की उम्र में सोमवार को मुंबई में आखिरी सांस ली। नौ दिन पहले 14 नवंबर को वे 90 साल के हुए थे और भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन कुछ कलाकारों ने उनके साथ उनका जन्मदिन मनाया था। तब किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हें इतनी जल्दी अलविदा कहना होगा। राजनीति, फिल्म, कला, व्यापार और खेल जगत की तमाम बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है।

श्याम बेनेगल ने मुंबई सेंट्रल के वोकहार्ट अस्पताल में सोमवार की शाम को साढ़े छह बजे के करीब आखिरी सांस ली। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने बताया, ‘वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे’। दो साल पहले उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थीं। उसके बाद से उनका डायलिसिस के साथ इलाज चल रहा था। अपने लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने अनेक फिल्मों का निर्देशन किया और कथा, पटकथा भी लिखी। उन्होंने दूरदर्शन के लिए कुछ बेहद बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री का भी निर्माण किया।

श्याम बेनेगल के नाम सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें आठ फिल्मों के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है यानी उनके नाम आठ राष्ट्रीय पुरस्कार हैं। उनकी फिल्में तो भारतीय सिनेमा की धरोहर हैं ही साथ ही उनकी एक बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने भारतीय सिनेमा को अनेक बेहतरीन कलाकार दिए। इनमें नसीरुद्दीन शाह से लेकर ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल के नाम लिए जा सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर उन्होंने डॉक्यूमेंट्री बनाई और इसके अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लिए धारावाहिक ‘यात्रा’, ‘कथा सागर’ और ‘भारत एक खोज’ का भी निर्देशन किया। श्याम बाबू ने 24 फिल्में, 45 डॉक्यूमेंट्री और 15 विज्ञापन फिल्में बनाईं। ‘जुबैदा’, ‘द मेकिंग ऑफ द महात्मा’, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोसः द फॉरगॉटेन हीरो’, ‘मंडी’, ‘आरोहन’ जैसी दर्जनों बेहतरीन फिल्मों का उन्होंने निर्देशन किया। फिल्म जगत में योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

श्याम बेनेगल को 2005 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी दिया गया। उन्होंने 1974 में पहली फिल्म ‘अंकुर’ बनाई थी। इस फिल्म में उन्होंने आंध्र प्रदेश के किसानों के मुद्दों को उठाया था। वहीं, ‘मुजीब-द मेकिंग ऑफ अ नेशन’ उनकी आखिरी फिल्म थी। यह फिल्म शेख मुजीबुर रहमान की जिंदगी पर आधारित थी।


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