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मण्डलायुक्त ने एयरपोर्ट के समीप अवस्थित मकानों के मूल्यांकन एवं भुगतान में पाई भारी अनियामिता तत्कालीन सीआरओ, वर्तमान सीआरओ, लोनिवि के सहायक अभियन्ता व अवर अभियन्ता सहित सम्बन्धित पटल सहायक के विरुद्ध कार्यवाही

●मण्डलायुक्त ने एयरपोर्ट के समीप अवस्थित मकानों के मूल्यांकन एवं भुगतान में पाई भारी अनियामिता

●तत्कालीन सीआरओ, वर्तमान सीआरओ, लोनिवि के सहायक अभियन्ता व अवर अभियन्ता सहित सम्बन्धित पटल सहायक के विरुद्ध कार्यवाही की भेजी संस्तुति

अनुचित लाभ लेने वालों से भी भुगतान की गयी धनराशि की होगी वसूली

      आज़मगढ़ 11 दिसम्बर--मण्डलायुक्त विजय विश्वास पन्त ने रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत विकसित किये जा रहे आज़मगढ़ एयरपोर्ट के समीप अवस्थित मकानों के मूल्यांकन एवं उसके भुगतान में भारी अनियमितता पाये जाने पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए मामले में संलिप्त तत्कालीन मुख्य राजस्व अधिकारी/विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी आलोक कुमार वर्मा, वर्तमान मुख्य राजस्व अधिकारी/विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी हरी शंकर तथा लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियन्ता राघवेन्द्र सिंह व अवर अभियन्ता विजय कुमार के विरुद्ध कठोर दण्ड एवं अनुशासनिक कार्यवाही किये जाने की संस्तुति शासन को भेज दी है। इसके अलावा विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय में कार्यरत सम्बन्धित पटल सहायक आनन्द कुमार मिश्र के विरुद्ध भी कठोर अनुशासनिक कार्यवाही संस्थित किये हेतु जिलाधिकारी आज़मगढ़ को निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने प्रकरण में अपेक्षित वसूली सम्बन्धी कार्यवाही भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। प्राप्त विवरण के अनुसार एक शिकायती प्रार्थना पत्र जिसमें आज़मगढ़ एयरपोर्ट को विकसित किये जाने हेतु एयरपोर्ट के समीप पड़ने वाले अवरोधों को हटाने में भारी अनियमितता किये जाने का उल्लेख करते हुए प्रकरण की जाॅंच कराये जाने की मांग की गयी थी। मामले को संज्ञान में लेते हुए नागरिक उड्डयन विभाग ने प्रकरण की जाॅंच कराने हेतु मण्डलायुक्त को निर्देश दिया था। मण्डलायुक्त विजय विश्वास पन्त ने प्रकरण की जाॅंच हेतु अपर आयुक्त (प्रशासन) अनिल कुमार मिश्र की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जाॅंच समिति का गठन करते हुए बारीकी से जाॅंच कर आख्या उपलब्ध कराये जाने का निेर्देश दिया था। गठित जाॅंच समिति की आख्या से स्पष्ट हुआ कि नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा वर्ष 2018 में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत मानक के अन्तर्गत आज़मगढ़ हवाई पट्टी के विस्तार हेतु आएलएस सर्वे रिपोर्ट संलग्न कर जिलाधिकारी आज़मगढ़ से हवाई पट्टी के मार्ग में पड़ रहे कतिपय अवरोधों को दूर करने का निर्देश दिया गया था, जिस पर उन्होंने ओएलएस रिपोर्ट एवं नक्शे में इंगित क्रमांक 15 व 16 के दो मकानों के ही मूल्यांकन हेतु अधिशासी अभियन्ता, प्रान्तीय खण्ड, लोनिवि को निर्देश दिया, जिस पर सहायक अभियन्ता, लोनिवि ने 4 मकानों का मूल्यांकन कर आख्या प्रस्तुत की। उक्त आख्या के आधार पर भजुरामा पत्र बंशराज के भवन का मूल्यांकन 47,47,277 रुपये, विमलावती पत्नी सन्तलाल का 22,21,459 रुपये, सुदामी पत्नी राम नरेश का रू0 35,67,477.88 तथा विंध्याचल पुत्र शिवजटा चैबे के कमान का मूल्यांकन रू0 62,93,925.17 किया गया। जाॅंच में यह भी तथ्य प्रकाश में आया कि उड्डयन विभाग द्वारा ओएलएस सर्वे मंे जिन दो मकानों मकान संख्या 15 एवं 16 को अवरोधक रूप में दर्शाया गया है उन दोनों मकानों में से केवल मकान संख्या 15 का ही मूल्यांकन किया गया है तथा उन दोनों अवरोधक मकानों के स्वामी को प्रतिकर का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है और न ही उन अवरोधक मकानों को अभी तक हटाया गया है।

      मण्डलायुक्त विजय विश्वास पन्त द्वारा गठित जाॅंच समिति द्वारा शिकायत में उल्लिखित तथ्यों की विधिव जाॅंच करके यह निष्कर्ष निकाला गया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक न तो मकानों का चिन्हीकरण किया गया और न ही उनके मूल्यांकन की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, बल्कि ऐसे व्यक्तियों के भवनों के मकानों की मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी जिनका उल्लेख उड्डयन विभाग की सर्वे रिपोर्ट में नहीं था। मण्डलायुक्त ने इसके अनाधिकृत व्यक्तियों को अनुचित लाभा पहुंचाने की नीयत से किया गया कृत्य मानते हुए इसके लिए लोनिवि के सहायक अभियन्ता राघवेन्द्र सिंह एवं अवर अभियन्ता विजय कुमार को पूर्णतया दोषी पाया। साथ ही साथ उक्त मूल्यांकन रिपोर्ट का बिना परीक्षण किये विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी आजमगढ़ के कार्यालय के वरिष्ठ सहायक श्री आनन्द कुमार मिश्र (पटल सहायक) व तत्कालीन मुख्य राजस्व अधिकारी श्री आलोक कुमार वर्मा जो तत्कालीन विशेष भूमि अध्यप्ति अधिकारी आजमगढ़ का भी कार्य देख रहे थे, भी शिथिल परिवेक्षण के कारण दोषी हैं। इनके शिथिल परिवेक्षण के कारण शासन को कुल 1,05,36,214.32 रू0 की क्षति हुयी है, क्योंकि जिन्हें प्रतिकर का भुगतान किया गया ओएलएस सर्वे रिपोर्ट में न तो इनके मकान अंकित किये गये थे और न तो इनके मकान को हटाया जाना था, लेकिन इन्हें अनाधिकृत रूप से वितरण कर दिया गया। इसके साथ ही प्रतिकर वितरण करने के लिए वर्तमान मुख्या राजस्व अधिकारी/विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी हरी शंकर की भूमिका भी संदिग्ध पाई गयी। मण्डलायुक्त श्री पन्त ने पाई गयी अनियमितताओं के दृष्टिगत जहाॅं सम्बन्धित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की संस्तुति की गयी है वहीं लोक निर्माण विभाग द्वारा भजुरामा पुत्र वंशराज, निवासी बलदेव मन्दुरी के तीन मंजिला मकान का मूल्यांकन रू0 47,47,277.00 किया गया है, लेकिन स्थलीय निरीक्षण में मकान दो मंजिला पाया गया, जिसका ऊपरी तल ही ध्वस्त किया गया है, पहला तल मौजूद है, जिसका मूल्यांकन रू0 24,23,161.16 है, की वसूली भी किये जाने की संस्तुति की है। इसी प्रकार विमलावती पत्नी सन्तलाल एवं सुदामी पत्नी राम नरेश के भवनों का ऊपरी तल ही ध्वस्त किया गया है जिसका मूल्यांकन क्रमशः रू0 11,72,464.00 एवं रू0 9,14,439.98 का अनाधिकृत भुगतान किया गया है, की भी वसूली की संस्तुति की गयी है।


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