भारतीय चिंतन परम्परा के सशक्त लेखक हैं निर्मल वर्मा - डॉ.इन्द्रमणि कुमार - राणा प्रताप कालेज में संगोष्ठी आयोजित
सुलतानपुर। 'निर्मल वर्मा नई कहानी साहित्यिक आंदोलन के अग्रदूत थे। वे भारतीय चिंतन परम्परा के सशक्त लेखक हैं । हिंदी कहानी में आधुनिकता का बोध लाने वाले कहानीकारों में निर्मल वर्मा का नाम अग्रणी है।' यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि कुमार ने कहीं।
वह महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा निर्मल वर्मा और उनका साहित्य विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
विशिष्ट वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि हम जब निर्मल वर्मा को पढ़ते हैं तो उनके साथ उनकी रचनाओं में सफर करने लगते हैं। रोजमर्रा की घटनाओं, मानवीय आदतों, कमियों खूबियों को उन्होंने उतने ही सहज रूप में लिखा है, जितना बाकी की दुनिया ने उसे कठिन बना रखा है। वे नैराश्य का आनंद लेने वाले रचनाकार हैं। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रंजना पटेल ने कहा कि अपने जीवनकाल में साहित्य के लगभग सभी श्रेष्ठ सम्मान पाने वाले निर्मल वर्मा ने मानव समाज की पीड़ा को अपनी रचना के केंद्र में रखा । डॉ.विभा सिंह ने बताया कि उनके गद्य में प्रकृति का तरल और मार्मिक चित्रण दिखाई पड़ता है। संचालन डॉ.ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने किया। स्नातकोत्तर व शोध विद्यार्थियों के लिए आयोजित इस संगोष्ठी में आकांक्षा सिंह,सौरभ , सात्विक व शिवांगी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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