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धूमधाम से मनाई गई वीर एकलव्य जयंती,निकाली गई भव्य झांकी

अतरौलिया। धूमधाम से मनाई गई वीर एकलव्य जयंती,निकाली गई भव्य झांकी। बता दे कि वीर एकलव्य की जयंती रविवार को बड़े ही धूमधाम से मनाई गई। एकलव्य नगर से भव्य झांकी निकाली गई, जिसमें महिला पुरुष तथा छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में तीर धनुष मौजूद रहा। झांकी में ईष्टदेव बीर एकलव्य समेत विभिन महापुरुषों,फूलन देवी के चित्रों को सजाया गया था। नगर में निकली वीर एकलव्य की भव्य शोभायात्रा आकर्षण का केंद्र रही। कार्यक्रम का आयोजन धर्मेंद्र निषाद डॉ0 राजू द्वारा एकलव्य नगर में आयोजित किया गया, जहां उपस्थित लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर वीर एकलव्य को याद किया। कार्यक्रम में  वीर एकलव्य की झांकी भव्य रथ पर सजाई गई थी जिसके पीछे चल रहे बच्चों के हाथों में तीर धनुष सुशोभित हो रहा था, वहीं महिलाएं गीत गा रही थी तो डीजे की ध्वनि पर बच्चे थिरकते रहे। यह शोभा यात्रा एकलव्य नगर से खानपुर फतेह, रोडवेज, स्टेट बैंक, बुधनिया रोड, गोला बाजार, बरन चौक, दुर्गा मंदिर, बब्बर चौक, केसरी चौक समेत पूरे नगर पंचायत का भ्रमण करते हुए पुनः एकलव्य नगर में संपन्न हुई। सुरक्षा के दृष्टि से उप निरीक्षक संतोष कुमार,महिला उपनिरीक्षक समेत पुलिसकर्मी व महिला कांस्टेबल तैनात रहे। कार्यक्रम के आयोजक डॉ0 धर्मेंद्र निषाद राजू ने आए हुए सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और कहा कि आज हमें अपने महापुरुष वीर एकलव्य की जयंती पर उन्हें याद कर बेहद खुशी महसूस हो रही है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी हम लोगों ने वीर एकलव्य की झांकी निकाली है जो 5 जनवरी को प्रतिवर्ष उनका जन्मदिन मनाते हैं और एक विशाल झांकी निकालते हैं। हम लोग इस जयंती को 16 वर्षों से मना रहे हैं जो कि प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या बढ़ती ही जाती है। निषाद परिवार एक उत्सव के रूप में इसे मानता है सिर्फ अतरौलिया ही नहीं अन्य जनपदों से भी लोग आते हैं इसमें निषाद समुदाय के संत व महात्मा लोग भी उपस्थित होते हैं। जिन लोगों ने अपने इतिहास को नहीं जाना वह जातियां मिट गई, इसलिए हम लोग अपने वंशजों को याद करते हैं। महात्मा ने कहा कि महान धनुर्धर वीर एकलव्य जी हिरण धनु के पुत्र हैं जिन्हें वीर धनुर्धर द्वारकाधीश वीर एकलव्य के नाम से भी जाना जाता है। यह महान नगरी जब हस्तिनापुर राज्य हुआ करता था तब उस समय हिरण धनु का भी राज्य हुआ करता था। उसी समय हिरण धनु महाराज के शासनकाल में एक बार भगवान श्री कृष्ण के ऊपर विपत्ति पड़ी थी उसी समय कृष्ण भगवान एकलव्य महाराज के पिता के यहां सरणागत होते हैं। बबलू निषाद ने कहा कि यह जयंती कई वर्षों से हम लोग मानते हैं इसमें हम लोग पूरे बाजार में झांकी निकाल कर भ्रमण करते हैं और अपने निषाद समाज को अग्रसर करने का कार्य करते हैं। इस मौके पर अध्यक्ष वीरेंद्र निषाद, राजेंद्र निषाद, संयोजक सुरेंद्र निषाद, सोनू, बुधिराज, अवतंस, संतराम, सुभाष, महेंद्र यादव, रमेश सिंह रामू ,टीटू विनायकर, शिवमूरत ,शीतल निषाद ,महेंद्र, भुवाल ,भोला, प्रेम बाबू ,अर्जुन, जय राम ,फूलचंद यादव, राजेश सोनकर आदि लोग मौजूद रहे।


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