खरमास या मलमास में क्यों बंद हो जाते हैं मांगलिक कार्य आइये आज जाने की क्यों...
हिंदी पंचांग में खरमास का विशेष स्थान है खरमास को मलमास के नाम से भी जाना जाता है पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्ग शीर्ष माह से पौष माह के बीच खरमास लगता है खरमास का अपना ही एक खास महत्व होता है आपको बता दें कि जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो ही खरमास लगता है ज्योतिष शास्त्र अनुसार, खरमास में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है इन दिनों हर तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है.सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति। इनमें से किसी भी ग्रह के बल में न्यूनता होने से मांगलिक कार्य अवरुद्ध हो जाते हैं। खरमास के महीने में बृहस्पति के बलहीन होने से शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसी प्रकार जब महीने में सूर्य चंद्रमा के अत्यंत निकट आ जाता है तो उस समय भी शुभ मुहूर्त का अभाव रहता है इस समय ये कार्य न करे तो ज्यादा अच्छा होगा जैसे वधू प्रवेश, वर वरण, कन्या वरण, बरच्छा, विवाह से संबंधित समस्त कार्य, मुंडन, यज्ञोपवीत, दीक्षा ग्रहण, गृहप्रवेश, गृहारंभ, कर्णवेध, प्रथम बार तीर्थ पर गमन, देव स्थापन, देवालय का आरंभ, मूर्ति स्थापन, किसी विशिष्ट यज्ञ का आरंभ, कामना परक कर्म का आरंभ, व्रतारंभ, व्रत का उद्यापन आदि कार्य खरमास में नहीं किए जाते हैं।
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