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महाशिवरात्रि स्पेशल Mahashivratri 2022 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मान्यता पढ़े विशेष ख़बर


Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि 01 मार्च दिन मंगलवार को है. इस दिन फाल्गुन मा​ह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. महाशिवरात्रि के दिन परिघ योग और शिव योग बन रहे हैं. इस दिन पंचग्रही योग भी बन रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, परिघ योग में शत्रुओं पर विजय के लिए बनाई गई रणनीति सफल होती है. जो लोग महाशिवरात्रि का व्रत रहेंगे, उनके लिए शिव (Lord Shiva) पूजा का मुहूर्त जानना जरूरी है. महाशिवरात्रि को रात्रि प्रहर में शिव पूजन का विधान है, लेकिन इस दिन प्रात:काल से भी पूजा अर्चना कर सकते हैं, इसमें कोई बाध्यता नहीं है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के पूजा मुहूर्त (Puja Muhurat), शुभ समय (Auspicious Time), योग (Grah Yog) आदि के बारे में.

●महाशिवरात्रि 2022 पूजा मुहूर्त

दृक पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात्रि प्रहर की पूजा का मुहूर्त शाम को 06:21 बजे से शुरु हो जा रहा है, जो अलगे दिन प्रात: 06:45 बजेतक है.
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त: 06:21 बजे से 09:27 बजे तकरात्रि द्वितीय प्रहर पूजा मुहूर्त: 09:27 बजे से 12:33 बजे तकरात्रि तृतीय प्रहर पूजा मुहूर्त: 12:33 बजे से 03:39 बजे तकरात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा मुहूर्त: 03:39 बजे से 02 मार्च को 06:45 बजे तकमहाशिवरात्रि निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 12:08 बजे से देर रात 12:58 बजे तक
●महाशिवरात्रि से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) पर दिन भर तो शिव पूजा की ही जाती है, लेकिन रात्रि पूजन का भी खास महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ऐसा कहा जाता है को भी व्यक्ति महाशिवरात्रि की रात चारों प्रहर भगवान शिव का पूजन विधि-विधान से करता है, उसे अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं, इसे लेकर भी अलग-अलग ग्रंथों में कई कथाएं मिलती हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर हम आपको ऐसी ही एक कथा के बारे में बता रहे है, जो सर्वाधिक प्रचलित है। 

जब विष्णु और ब्रह्मा स्वयं को मानने लगे श्रेष्ठ
शिवपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु भगवान में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। ब्रह्माजी ने कहा कि मैं सृष्टि का निर्माणकर्ता हूं इसलिए मैं श्रेष्ठ हूं, जबकि विष्णु जी को पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ बताया। तभी वहां एक अग्नि रूपी शिवलिंग उपस्थित हुआ। और आकाशवाणी हुई कि जो भी इस अग्नि रूपी शिवलिंग का छोर जान लेगा, वही श्रेष्ठ कहलाएगा। जिसके बाद ब्रह्मा जी और विष्णु शिवलिंग का छोर ढूंढने में लग गए। विष्णु भगवान ने कुछ समय प्रयास किया, जब उन्हें शिवलिंग का छोर नहीं मिला तो वह रुक गए। ब्रह्मा जी के साथ भी यही हुआ, लेकिन स्वयं को श्रेष्ठ बताने के लिए उन्होंने झूठ बोल दिया कि उन्होंने शिवलिंग के छोर का पता लगा लिया है, इसके लिए उन्होंने केतकी के फूल को साक्षी बनाया। तभी वहां भगवान शिव प्रकट हुए और बोले- ये लिंग मेरा ही स्वरूप है। ब्रह्मा के झूठ बोलने पर शिवजी ने उनकी संसार में उनकी पूजा न होने का श्राप दिया और केतकी के फूल उपयोग उनकी पूजा में करने का। साथ ही ये भी कहा कि जो व्यक्ति इस तिथि पर रात में जागकर जो भक्त मेरे लिंग रूप का पूजन करेगा, वह अक्षय पुण्य प्राप्त करेगा। जिस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए, उस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसलिए इस तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।

एक मान्यता ये भी
कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। शिव-पार्वती जी के विवाह के संबंध में शिवपुराण में लिखा है कि शिव-पार्वती विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार को हुआ था। उस समय चंद्र, बुध लग्र में थे और रोहिणी नक्षत्र था। शिव जी और माता सती का विवाह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था।

एक मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है 
शिव रात्रि वैदिक पंचाग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ीं 3 प्रमुख घटनाएं जो विस्तार से दिया गया है 
शिवरात्रि यूं तो हर महीने आती है। लेकिन महाशिवरात्रि सालभर एक बार मनाया जाता है और इस पर्व को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त गण भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अपने- अपने तरीके से पूजा- अर्चना करते हैं। इस साल 2022 में महाशिवरात्रि 1 मार्च यानि कि मंगलवार को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का पर्व का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन की रात है। इस दिन सभी शिव मंदिरों में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक चलता है और भक्त गण इस दिन व्रत भी रखते हैं। लेकिन आपको क्या आपको पता है महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है। इसके पीछे क्या घटना है…

1- शिवलिंग के स्वरुप में प्रकट हुए हुए थे भोलेनाथ:

शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो सके। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

2- द्वादश ज्योतिर्लिंग हुए थे प्रकट:

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रुप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। साथ ही इन 12 ज्योतिर्लिंगों पर देश- विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और यहां भगवान शिव शंकर के भक्तों की लंबी- लंबी लाइन महाशिवरात्रि के दिन देखने को हर साल मिलती है 

3.शिव और शक्ति का हुआ था मिलन: 

महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ। इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है भगवान शिव शंकर अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं उनकी हर मुराद पूरी करते हैं


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