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Janmashtami 2021: कल मनेगी जन्माष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त पूजा विधि और जानते हैं जन्माष्टमी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी...

Janmashtami 2021 Update: लीलाधारी का जन्मोत्सव कल, देश भर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कल मनाया जाएगा. इस साल जन्माष्टमी का पर्व सोमवार को पड़ रहा है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
ग्रह-नक्षत्रों का बन रहा विशेष संयोग
इस साल जन्माष्टमी पर ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है. ग्रहों के विशेष संयोग के कारण इस साल की जन्माष्टमी बहुत ही अधिक खास होगी. मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी. इसके अलावा वृषभ राशि में चंद्रमा संचार करेगा. इस दुर्लभ संयोग के कारण जन्माष्टमी का महत्व और बढ़ रहा है.

तुलसी प्रिय हैं कान्हा को पूजा में शामिल करें

भगवान श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी पत्ता जरूर शामिल करें. भगवान श्री कृष्ण को तुलसी अतिप्रिय होती है. जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ तुलसी की पूजा भी करें.
भगवान को लगाएं 56 भोग
जन्माष्टमी के दिन भगवान को 56 भोग लगाएं. ऐसा करने से देवकी नंदन प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरा करते हैं.

जन्माष्टमी के दिन इन नियमों का करें पालन

• जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ गाय की भी पूजा करें.

• पूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें.

• पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए.

• भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें.

• गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें.

जन्माष्टमी व्रत पारण का समय

31 अगस्त की सुबह 9 बजकर 44 मिनट बाद व्रत का पारण कर सकते हैं.
मंदिर में गूंजेगा भव्य संगीत
श्रीकृष्ण जन्मस्थली मथुरा के बाहर शहनाई, नगाड़े और अन्य वाद्य यंत्रों से मंदिर का माहौल भक्तिमय बनाया जाएगा. भक्त भगवान की मंगल आरती का दर्शन भी कर सकेंगे. पूरे मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है. मंदिर में उत्सव का मुख्य कार्यक्रम रात 11 बजे से शुरू होगा
जन्माष्टमी की पूजा में खीरा होना जरूरी
भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा करने के लिए खीरा बहुत जरूरी होता है. भगवान श्री कृष्ण खीरे से बहुत प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का उपयोग किया जाता है, जिसमें डंठल और हल्की सी पत्तियां भी लगी हो.पूजा- विधि

• सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.

• घर के मंदिर में साफ- सफाई करें.

• घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

• सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें.

• इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें.

• लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं.

• रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें.

• लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं.

• लड्डू गोपाल की आरती करें.

• इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें.
शुभ मुहूर्त

• 29 अगस्त की रात 11 बजकर 25 मिनट से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी

• 31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी

• 30 अगस्त की सुबह 06 बजकर 39 मिनट से रोहिणी नक्षत्र लगेगा

• 31 अगस्त की सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगी.
• पूजा का अभिजीत मुहूर्त
जन्माष्टमी के दिन अभिजीत मुहूर्त 30 अगस्त की सुबह 11 बजकर 56 मिनट से देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.खीरा, दही, शहद, दूध, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, पंचामृत, बाल कृष्ण की मूर्ति, सांहासन, गंगाजल, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत, माखन, मिश्री, भोग सामग्री, तुलसी का पत्ता सामग्री लिस्ट में शामिल है.


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