Religion and Culture / धर्म और संस्कार

सब्जी वाले को कूड़े के ढेर में मिली एक लड़की,बड़ी होकर लड़की ने कुछ इस तरह चुकाई अपने ऊपर....

जिंदगी का हर दिन एक जैसा नहीं होता है कोई दिन अच्छा होता है तो कोई दिन बुरा होता है लेकिन अच्छे बुरे दिन के बाद अच्छा दिन ज़रूर आता है और यकीन मानिये अगर मनुष्य करना चाहे तो दुनिया का कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता है, आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसे शायद ही आप जानते होंगे।आसाम के एक गांव में एक सब्जी वाला था जिसका नाम सोबरन था, सोबरन काफी गरीब घर से था और अपनी सब्जी बेचकर ही सोबरन अपने घर वालो का पेट भरता था लेकिन एक बार सोबरन अपनी सब्जी का ठेला लेकर घर जा रहा था तब उसे किसी बच्ची की रोने की आवाज़ सुनाई दी तो सोबरन ने यहाँ वहाँ देखा लेकिन कोई बच्ची नज़र नहीं आयी।
हर जगह देखने के बाद भी जब सोबरन को कोई नहीं दिखा तो सोबरन झाड़ियों की तरफ गया और वहाँ जाकर देखा तो उसे एक बच्ची दिखी जिसको किसी ने कूड़े में फेक दिया था सोबरन गरीब ज़रूर था लेकिन सोबरन का दिल काफी बड़ा था इसीलिए सोबरन ने उस बच्ची को अपनी गोद में उठा लिया और अपने घर ले आया।
  बच्ची को घर लाने के बाद सोबरन उसे अपनी बच्ची की तरह पालने लगा और उस बच्ची का नाम ज्योति रख दिया, सोबरन रोज़ाना सब्जी का ठेला लेकर जाता और सारा दिन सब्जी बेचने के बाद घर आकर अपनी बच्ची को सम्हालता. था सोबरन भले ही खुद खाना नहीं खाता था लेकिन गोद ली हुई बेटी को ज़रूर खाना खिलाता था, दिन रात मेहनत करने के बाद सोबरन ने अपनी बेटी को अच्छे से पढ़ाया और ज्योति ने भी पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी और अपना सारा ध्यान पढ़ाई में ही लगाई।

दिन रात मेहनत करने के बाद वर्ष 2017 में ज्योति की मेहनत रंग लायी और ज्योति ने आसाम के लोक सेवा आयोग से पीसीएस की परीक्षा दी और उस परीक्षा में ज्योति ने इतने अच्छे नंबर हासिल किये की उसे आयकर सहायक आयुक्त के पद पर पोस्टिंग दी गई और आज ज्योति अपने पिता सोबरन के साथ खुशी खुशी अपना जीवन जी रही है।
सोबरन का अब ये कहना है की वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था जब मैंने ज्योति को अपने घर लाया था और ज्योति ने मेरे हर सपने को पूरा किया है और मुझे इस बात पर गर्व है की मैं ज्योति का पिता हूँ।


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