मकर संक्रांति 2025|| आप सभी को GGS NEWS 24 के तरफ से स्नान - दान,गुड की मिठास और तिल की स्वाद से भरे रिश्तों और भाई चारे के पर्व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
जी हाँ, आज मकर संक्रांति है! यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और नए फसल चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। भारत में इसे अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे:
उत्तर भारत: मकर संक्रांति (खिचड़ी पर्व), जहाँ लोग खिचड़ी बनाते हैं और दान करते हैं।
पश्चिम बंगाल: पुस संक्रांति, जहाँ तिल-गुड़ के पकवान बनाए जाते हैं।
महाराष्ट्र: यहाँ "तिलगुल" और "गुड़-तिल" बांटने की परंपरा है।
पंजाब: लोहड़ी (एक दिन पहले) और संक्रांति को माघी के रूप में मनाते हैं।
गुजरात और राजस्थान: पतंगबाजी का विशेष महत्त्व है।
गांव में मकर संक्रांति एक बहुत ही खास और पारंपरिक त्योहार के रूप में मनाई जाती है। इस दिन गांवों में उत्साह, खुशी और सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है।
मकर संक्रांति के गांवों में प्रमुख दृश्य:
1. सुबह की पूजा:
लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और घर में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है।
2. खिचड़ी का विशेष महत्व:
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाना और दान करना परंपरा है। इसके अलावा, तिल-गुड़ से बने लड्डू भी खाए जाते हैं और एक-दूसरे को दिए जाते हैं।
3. दान-पुण्य:
लोग ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को तिल, गुड़, कंबल, और अन्न दान करते हैं। इसे शुभ माना जाता है और इससे पुण्य प्राप्ति की मान्यता है।
4. पतनोत्सव (पतंग उड़ाना):
पतंग उड़ाना मकर संक्रांति का प्रमुख आकर्षण होता है। बच्चे और युवा सुबह से ही छतों पर जाकर पतंगबाजी का आनंद लेते हैं।
5. मेलों का आयोजन:
गांवों में मकर संक्रांति के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में खाने-पीने की चीजें, खेल-कूद और पारंपरिक लोकनृत्य आदि होते हैं।
6. सांस्कृतिक कार्यक्रम:
पारंपरिक नृत्य और गीत मकर संक्रांति को और खास बना देते हैं। लोग "लोहरी" या "माघी" के लोकगीत गाते हैं और एकजुटता का संदेश देते हैं।
इस त्योहार का महत्व:
मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो ऋतु परिवर्तन को चिह्नित करता है। इस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और शीत ऋतु का अंत शुरू होता है। यह एकता, प्यार और दान का त्योहार है, जो गांव के सामुदायिक जीवन में उत्साह भरता है।
आज के दिन गंगा स्नान, सूर्य उपासना और तिल-गुड़ का सेवन शुभ माना जाता है।
प्रयागराज में मकर संक्रांति के अवसर पर महाकुंभ 2025 का पहला 'अमृत स्नान' आज, 14 जनवरी 2025 को आयोजित हो रहा है। इस पवित्र स्नान के लिए सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगा रहे हैं।
स्नान की शुरुआत श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा से हुई, जिन्होंने सुबह 5:15 बजे अपने शिविर से प्रस्थान किया और 6:15 बजे घाट पर पहुंचे। स्नान का समय 40 मिनट निर्धारित था, जिसके बाद वे 6:55 बजे घाट से लौटे।
अब तक 65 लाख से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं, और पूरे दिन में यह संख्या 3-4 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मकर संक्रांति की बधाई देते हुए कहा, "यह जगतपिता सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक उत्सव है।"
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में हो रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
आपको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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