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टोर्च की रोशनी में दौड़ी रोडवेज बस,हलक में अटकी यात्रियों की साँसें , दूसरे परिचालक ने नहीं सुनी पीड़ित परिचालक की चीख


आजमगढ़। डिपो से डिपो के बीच का तनाव इतना अधिक है कि दो दर्जन से अधिक यात्रियों की भी नहीं हुई सुनवाई महाकुंभ की तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की व्यवस्थाओं की कलई खुल गई। बलिया रोडवेज डिपो की बस यूपी 50 बीटी 3325 शनिवार को लखनऊ से चली थी। आजमगढ़ पहुंचने से पहले बस खराब हो गई।यात्रियों से धक्का लगवाकर बस को स्टार्ट किया गया। किसी तरह बस आजमगढ़ डिपो पहुंची, मगर उसकी हेडलाइट खराब हो गई।यह वाक्या रात करीब साढ़े आठ बजे आजमगढ़ बस स्टैंड का है। अगर कहीं रास्ते में खराब होती तो बात कुछ समझ में आती लेकिन जिले के बस डिपो पर मदद नहीं मिलने पर परिचालक ने 250 रुपये की टॉर्च खरीदकर बस के आगे बांध दी। फिर टॉर्च की रोशनी के सहारे चालक बस लेकर रवाना हुआ। यात्री भी अपने मोबाइल फोन की टॉर्च जलाए रहे। बलिया तक करीब चार घंटे के सफर के दौरान बस में सवार 25 यात्रियों की सांसें अनहोनी की आशंका में अटकी रहीं।
बस में सवार यात्रियों के अनुसार, परिचालक ने पीछे से आ रही आंबेडकरनगर डिपो की बस में सवारियों को बैठाने का अनुरोध किया, मगर आंबेडकर नगर डिपो के परिचालक ने मना कर दिया। रात में कोई अन्य साधन नहीं मिलता देख यात्री परेशान हो गए। परिचालक भरत यादव ने बताया कि उसने डिपो में मौजूद अधिकारियों को यह बात बताई लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। उसने 250 रुपये की टॉर्च खरीदी और उसे जलाकर हेडलाइट के पास बांध दिया। इसके बाद बस आजमगढ़ रोडवेज परिसर से बलिया के लिए रवाना हुई। कुछ यात्री अपने-अपने मोबाइल फोन की टॉर्च भी जलाए थे। बहादुर चालक और परिचालक ने अपने सूझ बूझ से किसी तरह बस को बलिया डिपो तक पहुंचाया तो यात्रियों ने राहत की सांस ली।


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