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इमरान खान को यूनाइटेड किंगडम के सांसदों का मिला समर्थन ,‘रिहा हो इमरान खान’ – ब्रिटिश सांसदों की मांग


इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan), को यूनाइटेड किंगडम के सांसदों का समर्थन मिला है। ब्रिटिश सांसदों ने खान की रिहाई के लिए यूके सरकार से पाकिस्तानी सरकार से बातचीत करने की अपील की। बता दें खान भ्रष्टाचार और देशद्रोह के कई मामलों में एक साल से अधिक समय से जेल में हैं। ब्रिटिश सांसदों ने उनकी गिरफ्तारी को सरकार के विपक्षी आंदोलनों को दबाने के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताया है। ब्रिटेन के 20 से अधिक सांसदों ने लिवरपूल रिवरसाइड के सांसद किम जॉनसन के पत्र के माध्यम से एक अपील पर हस्ताक्षर किए हैं।

पत्र में विदेश सचिव डेविड लैमी से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता इमरान खान की तत्काल रिहाई के लिए शहबाज शरीफ सरकार से बातचीत करने की अपील की गई। सांसद किम जॉनसन के माध्यम से यह अपील पत्र इमरान खान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार जुल्फी बुखारी के अनुरोध पर लिखा गया। इस पर हाउस ऑफ कॉमन्स और ऑवर ऑफ लॉर्ड्स दोनों के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। ब्रिटेन के सांसदों ने पूर्व पाक पीएम की हिरासत और उनके साथ किए गए व्यवहार पर गंभीर चिंता व्यक्त की और खान की कैद को राजनीति से प्रेरित कदम बताया जिसका मकसद उन्हें सलाखों के पीछे रखना और चुनावी दौड़ में शामिल होने से अयोग्य घोषित करना है। पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इमरान खान को कम से कम तीन मुकदमों में बचाव के उनके मूल अधिकार से वंचित किया गया।
ब्रिटिश सांसदों के पत्र के मुताबिक इमरान खान के खिलाफ बढ़ते मामले अब पाकिस्तान में न्याय प्रणाली के गलत इस्तेमाल के पैटर्न के मुताबिक हैं, जिसमें राजनीतिक विपक्षी नेताओं को डराना, परेशान करना और निशाना बनाना शामिल है। पत्र में इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई गई कि इमरान खान के मामलों का फैसला सैन्य अदालत के जरिए हो सकता है। सांसदों ने चेतावनी दी कि ऐसा कदम केवल अवैधानिक होगा। पत्र में इमरान खान की राजनीतिक पार्टी पीटीआई के सदस्यों, नेताओं और राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ जारी दमन का भी उल्लेख किया गया, जो संबंधित सरकारी अधिकारियों से पूर्व अनुमति प्राप्त करने के बावजूद सार्वजनिक रैलियां आयोजित नहीं कर रहे हैं। पत्र में लिखा है ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने पीटीआई समर्थकों को हिरासत में लेने के लिए अनुचित तरीके से एक नया सार्वजनिक आदेश अधिनियम लागू किया है।


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