व्यक्ति के बौद्धिक सृजन का संरक्षण आवश्यक - ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि
- राणा प्रताप पीजी कालेज में हुई संगोष्ठी
सुलतानपुर। किसी व्यक्ति के बौद्धिक सृजन पर पहला हक उसी का है । उसके बौद्धिक सृजन का संरक्षण आवश्यक है। बौद्धिक संपदा अधिकार का मूल उद्देश्य मानव की बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह जरूरी है कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की समय समय पर समीक्षा होती रहे । यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहीं।
वह महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि जब हम मौलिक रूप से कोई रचना करते हैं और इस रचना का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गैर कानूनी तरीके से अपने लाभ के लिये प्रयोग किया जाता है तो यह रचनाकार के अधिकारों का स्पष्ट हनन है। जब दुनिया में बहस तेज हुई कि कैसे बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा की जाए तब संयुक्त राष्ट्र के एक अभिकरण विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना की गई। इस संगठन के प्रयासों से ही दुनिया भर में बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्त्व को प्रमुखता प्राप्त हुई।
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रंजना पटेल ने कहा कि शिक्षा जगत के नवाचारों को संरक्षित करना और उन्हें सफल व्यवसाय में बदलना इस कानून का मुख्य लक्ष्य है। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा सिंह ने बताया कि कापीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन आदि अधिनियमों के द्वारा भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार को मजबूती प्रदान की गई है।
इस अवसर पर परास्नातक के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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