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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता के ग्राफ में तेजी से आई गिरावट ने भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान के माथे की शिकन बढ़ा दी है, जो योगी अपनी कार्यशैली की....

कोरोना महामारी के कारण त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की जनता का बचाने के लिए योगी की नौकरशाही से अधिक पूर्व आईएएस अरविंद शर्मा पर भरोसा जताया। शर्मा ने भी अपने मोदी को निराश नहीं किया। वाराणसी में कोरोना महामारी पर न केवल लगाम लगी, बल्कि मोदी ने कई बार इसके लिए पूर्व आइएएस अरविंद शर्मा की तारीफ भी की। यह बात भले ही यूपी की नौकरशाही को रास नहीं आई हो, लेकिन जो हालात नजर आ रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि केन्द्र ने योगी की टीम में अपने हिसाब से बड़ा बदलाव करने का मन बना लिया है। कुछ नौकरशाहों के पर कतरे जा सकते हैं तो कुछ मंत्रियों को भी अंदर बाहर किया जाना तय है। सबसे बड़ी गाज डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा पर गिर सकती है। दिनेश शर्मा को हटाने से जो नुकसान होगा, वह अरविंद शर्मा के मंत्रिमंडल में शामिल होने के पूरा हो सकता है। नौकरशाह से नेता बने अरविंद को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से गृह विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो यह तय माना जाएगा कि अरविंद के माध्यम से केन्द्रीय आलाकमान नौकरशाही को नियंत्रित करने की कोशिश करने जा रहा है जिस पर योगी का कोई खास नियंत्रण नहीं रह गया दिखता है। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि पंचायत चुनाव में निराशाजनक नतीजे आने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी हटाए जाने का मन बीजेपी आलाकमान ने बना लिया है। इसकी जगह प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एक बार फिर केन्द्र की नई पसंद बन सकते हैं। प्रदेश अध्यक्ष रहते मौर्य का कामकाज भी अच्छा रहा था। उनके रहते बीजेपी ने कई चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी।
      भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नहीं हटाए, लेकिन अब योगी उतनी आजादी से काम नहीं कर पाएंगे जैसे अभी तक करते चले आ रहे थे। अब केन्द्र योगी सरकार के कामकाज की समीक्षा करेगा और जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को निर्देश देने से भी नहीं हिचकिचाएगा। बताते चलें वैसे काफी समय से पार्टी के शाीर्ष स्तर पर योगी सरकार और संगठन में फेरबदल करने के लिए मंथन चल रहा है। इसे लेकर नई दिल्ली में भाजपा व संघ नेताओं की बैठक भी हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो कोरोना महामारी का प्रकोप थोड़ा कम होते ही अगले महीने संगठन व सरकार में फेरबदल हो सकता है। फेरबदल से कौन सबसे अधिक प्रभावित होगा, इसकी बात की जाए तो यह मान कर चला जा रहा है कि पंचायत चुनाव में भाजपा को जिन क्षेत्रों और जिलों में अपेक्षित परिणाम नहीं मिला है, वहां के क्षेत्रीय और जिला पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है।

महामारी के दौरान उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करने वाले मंत्रियों को भी हटाया जा सकता है या विभाग बदले जा सकते हैं। मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। उसकी भी भरपाई करनी है।


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