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अटल बिहारी वाजपेयी ने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था : दयालु


जौनपुर:  भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती पर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर मिश्र दयालु ने नगरपालिका के टाउन हाल में आयोजित विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने अटल जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और कृतित्व को नमन किया। प्रदर्शनी में अटल जी के छात्र जीवन से लेकर उनके प्रभावशाली राजनीतिक सफर को क्रमवार ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसमें उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लिए गए ऐतिहासिक फैसलों, भारत के विकास और समृद्धि के बड़े प्रयासों को भी रेखांकित किया गया है। प्रदर्शनी में अटल जी की देशभक्ति, सेवा और अदम्य साहस को बखूबी दर्शाया गया है। 


राज्य मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनकी विरासत हमें हमेशा मार्गदर्शन देती रहेगी। उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए अटल जी से जुड़ी स्मृतियों को ताजा करते हुये कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई० को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई थी। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एम.ए किया था।

 

अटल बिहारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी। दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी जब डीएवी कॉलेज आए, तब अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन चरम पर था। राजनीति में कूदने पर उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।

अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आ गए थे 1942 के 'भारत छोड़ो' आन्दोलन में उन्होंने भाग लिया था और 24 दिन तक कारावास में रहे थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। वे 10 बार लोकसभा में और 2 बार राज्यसभा में सांसद रहे। वे एकमात्र ऐसे सांसद है जो चार अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से सांसद बने थे। 6 अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। किन्तु इस बार इनको संख्या बल के आगे त्याग-पत्र देना पड़ा था। 19 मार्च 1998 को पुनः अटलजी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी और फिर 13 अक्टूबर 1999 को अटलजी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वे 1997 में जनता पार्टी सरकार से विदेश मंत्री बने और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण दिया था।

अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था। यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे।

जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ही थे। अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद भी उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण को करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे। पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम की एक बस सर्विस शुरू की थी जिसमें उन्होंने भी एक बार यात्रा की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी को कई बार सम्मनित किया जा चुका है। उन्हें पद्म विभूषण, लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार व गोविंद वल्लभ पंत जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया। उनको दिसम्बर, 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था जिसके कारण वे ठीक से बात चीत नहीं कर पाते थे और काफी लंबे समय बीमार रहने के बाद 16 अगस्त 2018 में उनका निधन हो गया।


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