एक रूपए के पर्चे पर एक हजार की दवा, यूपी सरकार की योजनाएं हो रही है हवा : सुल्तानपुर
●एक रूपए के पर्चे पर एक हजार की दवा, यूपी सरकार की योजनाएं हो रही है हवा
●ओपीडी में डाक्टर के साथ बैठ रहें दलाल,मरीजों पर बाहरी दवाएं खरीदने का बनाया जाता है दबाव
सुलतानपुर : मौत को जि़दगी में बदल देने का हुनर रखने वाले जब सरकार से मिलने वाली उजरत को नाकाफी समझकर पैसा कमाने के लिए फ़ितरत शुरू कर देंगे तो जिंदगी का दम तोड़ देना हैरत की बात नहीं होगी। जी हां बात जनपद के जिला चिकित्सालय की है जहां डाक्टर से ज्यादा दलाल मुस्तैद दिखाई देते हैं। और इनकी मुस्तैदी की वजह अस्पताल में तैनात डाक्टर ही है। पिछले लंबे समय से जिला अस्पताल की कमोबेश सारी ओपीडी दलाल ही चला रहे है। सूत्रों की माने तो डाक्टर वही दवाएं मरीजों को लिखते हैं जो दलाल डाक्टर के साथ ओपीडी में बैठता है। यही कारण है कि एक रूपए के पर्चे पर एक हजार की बाहरी दवाएं लिखी जा रही है। जबकि प्रदेश सरकार के द्वारा सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं एंव उपकरणों की उपलब्धता प्राथमिकता के आधार पर आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी हैं कि जब सरकार की योजनाएं और घोषणाएं आमजनों के जान की हिफाजत के लिए है। फिर बीमारी से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर बाहरी दवाएं क्यों लिख रहे हैं। तो जवाब मिलता हैं कि धरती के "दूत" (डाक्टर) अब पेशे को सेवाभाव से नही बल्कि "मोटा भाव" के हिसाब से आगे बढ़ाने का काम कर रहे है।जिला अस्पताल की कुछ ओपीडी सरकार की योजनाओं के लिए कलंक साबित हो रही हैं। अफसोस इस बात का है कि डॉक्टर पैसा कमाने के चक्कर में इतना अंधे हो गए हैं। की उन्हें मरीजों की गरीबी या परेशानी से कोई मतलब नहीं है। बस मतलब है तो अपने दलालो की दवाइयां मरीज के पर्चे पर लिखकर निर्देश दिया जाता है कि दवा लाकर दिखाओ तो बताया जाएगा कि कैसे खाना है। जिला अस्पताल के हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं की सरकार की एक न चलकर सिर्फ डाक्टर और दलालों की ही मनमानी पर अस्पताल चल रहा है। यहा तक की समस्त प्रकार की जांच अस्पताल में होने के बावजूद बाहर से जांच करवाई जा रही है। जहा तक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाँ एससी कौशल की बात है तो इसमे कोई शक नही की उनके प्रयास में कोई कमी हो। जिला चिकित्सालय के सीएमएस लगातार ओपीडी से ओटी और इमरजेंसी का औचक निरीक्षण तथा सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से नजर बनाए रखने के बाद भी कमीशन खोर डाक्टर नजर से काजल चुरा ही लेते हैं। सूत्रों की माने तो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाँ एससी कौशल लगातार डाक्टरों के साथ मीटिंग कर दलाली को लेकर नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन असर ,बेअसर दिख रहा है। सूत्र बतातें है कि जिला अस्पताल दलालों की मजबूत मंडी बन गई है। जबतक दलाल और डाक्टर का गठजोड़ टूटे गा नही तबतक मरीजों को सरकारी सुविधाएं मिलना दूर की कौडी साबित होगी।
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