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महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जयंती पर ‘भारतीय भाषा उत्सव‘ का हुआ आयोजन

 लखनऊः 11 दिसम्बर, 2022 उत्तर प्रदेश भाषा विभाग के नियंत्रणाधीन समस्त संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में भारत सरकार के निर्देशानुसार ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ की संकल्पना के अन्तर्गत आजादी का अमृत महोत्सव की श्रंृखला में महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जयंती दिनांक 11 दिसम्बर, 2022 के अवसर पर ‘भारतीय भाषा उत्सव‘ का आयोजन किया गया। भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन पूरे प्रदेश में भव्य रूप से मनाया जाना है। व्याख्यान संगोष्ठी में मंच पर उपस्थित अतिथियों एवं संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती एक सुप्रसिद्ध भारतीय लेखक, कवि और पत्रकार, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। 1882 में तिरुनेलवेली जिले (वर्तमान थूथुकुडी) के एट्टाग्रपुरम में जन्मे भारती की प्रारंभिक शिक्षा तिरुनेलवेली और वाराणसी में हुई और उन्होंने कई समाचार पत्रों में पत्रकार के रूप में काम किया। ‘‘महाकवि भारती‘‘ के रूप में लोकप्रिय और आधुनिक तमिल कविता के अग्रदूत थे और उन्हें अब तक के सबसे महान तमिल साहित्यकारों में से एक माना जाता है। उनकी कई रचनाएं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशभक्ति और राष्ट्रवाद को जगाने वाले ज्वलंत गीत थे।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में रत्नेश मणि त्रिपाठी संस्कृत भाषा, नरेन्द्र सिंह मोंगा पंजाबी भाषा के विद्वान द्वारा बताया कि जिस प्रकार सुब्रमण्यम भारती ने दक्षिण भारत को उत्तर भारत से एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया उसी प्रकार पंजाबी के आदि कवि योगी गाोरखनाथ ने पश्चिमी पंजाब के रावलपिंडी में 09 वीं शताब्दी में जन्म लेकर पंजाब से हिमालय की तराई तक जोड़ने का प्रयास किया। गोरखनाथ के गुरू भाई रत्ननाथ ने भटिण्डा में जन्म लेकर नाथ पद के प्रचार हेतु पूर्वी पंजाब से काबुल ईराक अरब तक को जोड़ने का कार्य किया। प्रकाश गोधवानी सिंधी भाषा के विद्वान ने बताया कि सुब्रमण्यम भारती ने राष्ट्रीय भाविक्य में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया तमिल भाषी होते हुए भी उन्होने प्रयागराज में जाकर हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में अध्ययन किया। भाषा के महत्व को समझते हुए उन्होंने राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने के लिए भारत के लिए अनेक रचनाओं का सृजन किया। डॉ0 अमिता दूबे हिन्दी भाषा ने भी सुब्रमण्यम भारती जी के जीवन पर प्रकाश डाला, डॉ0 मोहन मिश्र पालि भाषा ने बताया कि पालि प्राचीन भारतीय भाषाओं में पालि में भगवान बुद्ध द्वारा उपदिष्ट सूत्रों का संकलन है पालि भाषा का संबध स्थविरवाद बौद्ध दर्शन की धार्मिक ग्रन्थ त्रिपिटक इसी भाषा में निबद्ध है। वेदव्यास पाण्डेय प्राकृत भाषा ने बताया कि प्राकृत भाषा में जैन आगमग्रन्थों के साथ-साथ अनेक भारतीय प्राचीन बोलियों का संग्रह है। इस भाषा में भारत के प्राचीन शिलालेख प्राप्त होता हैै। जो इसके प्रचीनता को प्रमाणित करता है। यह भाषा संस्कृत नाट्य ग्रन्थों में प्रचूरता के साथ प्राप्त होता है।


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