जिले में घर-घर चिन्हित किए जा रहें टीबी रोगी
बिलरियागंज/आजमगढ़ जनपद आजमगढ़ के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया है कि जिले में विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह के तहत दस्तक पखवाडा मनाया जा रहा है। इस दौरान संचारी रोग को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह अभियान 24 मार्च तक चलेगा। अभियान के तहत क्षय रोग मरीजों को चिन्हित कर उनका मुफ्त में इलाज एवं सहायता राशि दी जाएगी|
जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना काल में टीबी रोगियों का विशेष ध्यान रखने तथा वर्ष 2025 तक देश से टीबी मुक्त करने के लक्ष्य के मद्देनजर उनके नियमित जांच और इलाज के लिये अभियान संचालित किया जा रहा हैl अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बुखार के रोगियों एवं क्षय रोग के लक्षणयुक्त व्यक्तियों की सूची तैयार कर तत्काल इलाज मुहैया कराये जाने के निर्देश दिये गये|
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 एके मिश्रा ने बताया कि टीबी को छिपाने से बीमारी बढ़ती है और यह बीमारी परिजनों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। समय से इलाज न कराना व पूरा इलाज न होने पर टीबी का फिर से इलाज शुरू करने में लम्बा समय लगता है। एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी का रूप भी ले सकता है। टीबी का इलाज छह माह तक चलता है। एमडीआर केस में यह इलाज 9 से 11 माह तक चलता है। संचारी रोग अभियान के तहत गाँव के घर-घर जाकर आशा-आंगनबाड़ी द्वारा लोगों की टीबी स्क्रीनिंग की जायेगी जिसमें संभावित टीबी मरीजों के बलगम की जांच व जांच में टीबी की पुष्टि होने पर मरीज को तत्काल इलाज मुहैया कराया जाएगा|
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ0 परवेज़ अख्तर ने बताया कि जनवरी 2020 से फरवरी 2021 तक जिले में कुल 6090 क्षय रोगियों को चिन्हित कर 2053 मरीजों का पूर्ण इलाज किया गया। इसमें 2296 क्षय रोगियों को भुगतान किया जा चुका है। जिले में अब तक कुल 4037 क्षय रोगियों को इलाज किया जा रहा है|
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा खांसी के साथ खून आता हो, शाम को बुखार का चढ़ जाना, सीने में दर्द, भूख न लगने और वजन कम होना टीबी का लक्षण हो सकता है। अगर हड्डी की टीबी है तो उस हड्डी में या उसके पास दर्द होगा। गिल्टी की टीबी है तो वहां ग्लैंड बढ़ जाती है। ऐसे में तुरंत ही टीबी की जांच करानी चाहिए। जांच की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है|
निक्षय पोषण योजना टीबी मरीज को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए आर्थिक मदद सीधे उनके खाते में भेजी जाती है। इसके लिए संबंधित क्षय रोगी को अपने बैंक खाते का विवरण व मोबाइल नंबर सम्बंधित अस्पताल जहाँ से वह इलाज ले रहा है, वहां उपलब्ध कराना होता है। इस जानकारी को निक्षय पोषण पोर्टल में अपलोड कर दिया जाता है। यदि क्षय रोगी का खाता नहीं खुला है, ऐसी स्थिति में क्षय रोगी की सहमति से यह राशि उसके सम्बन्धी के खाते में भी भेजी जाती है।
टीबी के मरीज को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। मरीज मास्क पहनकर कर रहें, मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने के समय साफ कपड़े से मुंह पर अवश्य लगाए| टीबी के मरीज इधर-उधर न थूकें, जिससे अन्य लोग प्रभावित न हो सकें |
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