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संस्कृत संस्थानम लखनऊ में ’’स्वस्थ उ0प्र0 विकसित उ0प्र0’’ विषयक लघु नाटक का मंचन

 

न्यूज ऑफ इंडिया (एजेंसी)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम लखनऊ द्वारा अपने परिसर में 20 सितम्बर 2024 को पूर्वाह्न 11ः00 बजे से ‘‘स्वस्थ उत्तर प्रदेश विकसित उत्तर प्रदेश‘‘ विषय पर पर व्याख्यान गोष्ठी एवं मण्डल स्तरीय संस्कृत प्रतिभा खोज प्रतियोगिता तथा स्वच्छता पर आधारित एक ‘‘एक इरादा‘‘ लघु नाटक का मंचन किया गया।कार्यक्रम में अतिथि डॉ0 आनन्द ओझा, पूर्व निदेशक, स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि साहित्य में वर्णित स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों में अन्वेषण विश्लेषण हेतु कदम उठाये जाने की आवश्यकता है हिन्दी ग्रन्थों जैसे रामायण, रामचरितमानस, महाभारत, वैदिक ग्रन्थों में स्वास्थ्य सम्बन्धी तथ्यों के संकलन की एवं वैज्ञानिक उपयोगिता पर विचार एवं शोध की आवश्यकता है। डॉ0 अनिल मिश्रा, पूर्व सलाहकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि विकास और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं। विकास की राह स्वास्थ्य के आंगन से ही निकलती है। स्वास्थ्य का आयाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य तक है। भारत के  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी स्वतन्त्रता की सौवीं जयन्ती तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं, जिसके लिए उ0प्र0 के  मुख्यमंत्री  योगी आदित्य नाथ जी दृढ़ संकल्पित हैं।
डॉ0 केवल कृष्ण ठकराल पूर्व निदेशक, आयुर्वेद विभाग, ने बताया कि ईश्वर ने मनुष्य को दो चीजें दी हैं यथा शरीर और मन, इन दोनों के स्वास्थ रहने पर ही कोई व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। डॉ0 जगन्नाथ पाण्डेय ने बताया कि आहार विहार और विचार शुद्ध रखकर रोगों से बचा जा सकता है। डॉ0 रश्मि शील ने बताया कि अथर्ववेद में कहा गया है ‘‘जीवेत शरदः शतम् शतम्‘‘ यानि की हम सौ वर्ष तक जीवित रहें और इसके लिए जरूरी है निरोगी काया। कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया। किसी व्यक्ति की मानसिक शारीरिक और सामाजिक रूप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं। हमारे यहां इसे ही जीवन कौशल कहा गया है। वर्तमान में हम स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में निरन्तर कार्य कर रहे हैं।
  संस्थान के निदेशक  विनय श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वास्थ्य, जीवन की महत्वपूर्ण आधारशिला होती है। संस्कृत की एक उक्ति है-’’आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनं’’ अर्थात, ’’स्वास्थ्य ही परम धन है, और अच्छे स्वास्थ्य से हर कार्य पूरा किया जा सकता है।’’ कोविड महामारी से हमें सबसे बड़ी सीख यह मिली कि हमें हमेशा ही हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। जैसा कि हमने महामारी के दौरान देखा, दुनिया के एक हिस्से में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बहुत कम समय में ही दुनिया के अन्य सभी हिस्सों को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए हमें अगली स्वास्थ्य आपात स्थिति को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए तत्पर रहना होगा। आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में यह विशेष रूप से आवश्यक है। स्वास्थ्य और पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। साफ हवा, सुरक्षित पेयजल, पर्याप्त पोषण और सुरक्षित आश्रय स्वास्थ्य के प्रमुख घटक हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः, अर्थात, ’सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त हों।’
मण्डल स्तरीय संस्कृत प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में 06 जिलों के 55 प्रतिभागी बच्चों द्वारा प्रतिभाग किया गया। प्रतिभागी बच्चों में विजयी प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्राप्त 15 बच्चों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही स्वच्छता पर आधारित ‘‘एक इरादा‘‘ लघु नाटक का भी मंचन किया गया।


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