Parliament के विशेष सत्र में सेंगोल को लेकर हुआ बवाल
लोकसभा के विशेष सत्र में एक बार फिर सेंगोल पर चर्चा हुई है. समाजवादी पार्टी ने संसद भवन में सेंगोल को हटाकर उसके स्थान पर संविधान रखने की मांग की है.समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने एक चिट्ठी लिखकर संसद भवन से सेंगोल को हटाने की मांग की है.अब इसके लेकर भाजपा ने विरोध जताया है.समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने कहा, 'संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है.पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल स्थापित किया.
'सेंगोल' का अर्थ है 'राज-दंड' या 'राजा का डंडा'. रियासती व्यवस्था खत्म होने के बाद देश आजाद हुआ.' क्या देश 'राजा का डंडा' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए.'इसके बाद भाजपा नेता सीआर केसवन ने चौधरी की टिप्पणियों को अपमानजनक बताया. सीआर केसवन ने कहा, 'आरके चौधरी की टिप्पणी अपमानजनक है. उन्होंने लाखों भक्तों का अपमान किया है.उन्होंने संसद की पवित्रता को भी कमजोर किया है.उन्होंने राष्ट्रपति के कार्यालय का भी दुरुपयोग किया है. लेकिन आप समाजवादी पार्टी के सांसद से इससे बेहतर क्या उम्मीद कर सकते हैं.'
क्या है सेंगोल
सेंगोल को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वीकार किया था. सेंगोल को नये संसद भवन में स्पीकर सीट के पास रखा गया है. सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक है. सेंगोल चोल साम्राज्य से जुड़ा है. सेंगोल जिसको प्राप्त होता है उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है. सेंगोल को संस्कृत के संकु शब्द से लिया गया है. जिसका अर्थ शंख होता है. सेंगोल भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था. सेंगोल सोने या फिर चांदी के बने होते हैं. जिसे कीमती पत्थरों से सजाया जाता था. सेंगोल का सबसे पहले इस्तेमाल मौर्य साम्राज्य में किया गया था. उसके बाद चोल साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य में किया गया था. इसका इस्तेमाल आखिरी बार मुगल काल में किया गया था. हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में अपने अधिकार के प्रतिक के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया था.
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