भ्रष्टाचार की जद में आ चुके जनपद के लोक निर्माण विभाग में तैनात अधिकारी व कर्मचारी अपने निजी स्वार्थ में ......
अंबेडकर नगर भ्रष्टाचार की जद में आ चुके जनपद के लोक निर्माण विभाग में तैनात अधिकारी व कर्मचारी अपने निजी स्वार्थ में जहां कराए जा रहे कार्यों में मानकों व उच्चाधिकारियों के आदेशों, शासनादेशों की अनदेखी कर रहे हैं वहीं शासकीय धन का बंदरबांट बदस्तूर जारी है। यह तय है कि जब विभागीय मंत्री स्वयं प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री हैं और सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है तो जानकारी के अनुसार जनपद के लोक निर्माण विभाग में तैनात अधिकारी व कर्मचारी अपने कमीशन बाजी के चक्कर मे कराए जा रहे कार्यों में मानकों की अनदेखी कर रहे हैं। जिसके संबंध में कुछ ठेकेदारों ने नाम ना छापने की शर्त पर दबी जुबान से बताया कि एक तरफ हम लोग आपसी प्रतिस्पर्धा में कम दर की निविदा डालते हैं और ऊपर से विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी अधिशासी अभियंता 2 प्रतिशत, सहायक अभियंता 3 प्रतिशत, अवर अभियंता 5 प्रतिशत के अतिरिक्त कैम्प लिपिक एकाउंटेंट कैशियर जे ई सहित कुल मिलाकर करीब 13 प्रतिशत अधिकारियों कर्मचारियों को कमीशन के रूप में देना पड़ता है। जिससे कि न देने की दशा में कार्यों में अनेकों कमियां निकाल कर तरह-तरह से परेशान किया जाता है। किसी से शिकायत नहीं करते कि कार्य तो इन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों के ही अधीनस्थ करना होता है। जिससे कि हम लोग कमीशन देने में ही अपनी भलाई समझते हैं। इसके बाद भी हम लोगों के पास भी अनेकों खर्च होते हैं बच्चों परिवार को भी इसी से देखना होता है। इस प्रकार कम दर पर निविदा विभागीय कमीशन अपना खर्चा सब मिलाकर करीब 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तो निकल जाता है। बाकी के बचे धन से कार्य होता होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
अफवाहों का बाजार तो यहां तक गर्म है कि कुछ सहायक अभियंता जो की बगल के जनपदों के हैं वह जब आवश्यकता होती है तभी निजी आवास से आते हैं कुछ सहायक अभियंता ऐसे भी है जो कि अपने नाम के सरकारी आवास एलाट करा रखे है और उसे किसी अन्य विभागीय कर्मचारी को किराए पर दे रखे हैं। जानकार तो यह भी कहते हैं कि विभाग द्वारा जो निविदा निकाली जाती है उसमें निकालते समय ही कुछ छोटे कार्यों को जानबूझकर छोड़ दिया जाता है। बाद में उसी को एक्स्ट्रा आइटम वेरिएशन सप्लाई ऑर्डर के नाम पर ठेकेदारों से मिलीभगत कर शासकीय धन का खूब बंदरबांट किया जाता है। जिससे संबंध में स्थानीय सत्यापन किया जाए तो खुद ही उभर कर सामने आ जाएगा।
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