आखिर कौन लेगा शिक्षा की जवाबदारी और कौन रोकेगा प्राइवेट स्कूलों की कालाबाजारी
विशेष रिपोर्ट।आखिर कौन लेगा शिक्षा की जवाबदारी और कौन रोकेगा प्राइवेट स्कूलों की कालाबाजारी जैसा कि आप सभी को अवगत कराता हूं कि हर इलेक्शन में सभी नेता अपने जीतने के लिए तमाम प्रकार के वादे करते हैं कोई कहता है कि हमारी सरकार बनी तो हर घर में एक लाख रुपए शाल का आप के खाते में आएगा कोई कुछ तो कोई कुछ लुभाने वाली बात जनता के सामने करता है ।
जरा सोचिए आज तक कोई नेता शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और प्राईवेट स्कूलों की कालाबाजारी को लेकर जनता के समक्ष क्यों नहीं बोलते क्योंकि उनकी सरकारों को प्राइवेट स्कूलों से कमाई बंद हो जाएगी शायद इस वजह से कोई शिक्षा व्यवस्था सुधार की बात नहीं करता आप को बता दें कि अभी स्कूल चालू हो रहें और उनकी लुट खसोट चालू होगा कक्षा पहली से लेकर जो बुक और बुट या और पठन पाठन की वस्तुएं 1500 सौ से 2000 तक का है उसकी किमत 5000 से 10000तक अभिभावकों से वसूली करते हैं फिस लेट होने पर बच्चों को परेशान करना अभिभावकों को बेईज्जत करना अगर कोई व्यक्ति सवाल पुछे तो जवाब मिलता है कि अपने बच्चों को विद्यालय से निकाल लो और भी कई प्रकार की बातें सुनने को मिलती हैं स्कूलों की बुक हर साल चेंज कर देते हैं ।
ताकि कोई लड़का पुरानी बुक लेकर न पढ़ पावे और सरकारी स्कूलों की तो बात ही कुछ निराली है 50000से60000 हजार रुपए पेमेंट लेने वाले अध्यापक बच्चों को राम भरोसे पढ़ाते हैं और हमारे देश या प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामायण और महाभारत की चौपाई दोहे में गलती निकालने में लगे हुए हैं ।
हम सरकार से पुछना चाहता हूं कि अब इस स्थिति में गरीब के बच्चे कैसे पढ़ें मैं भारत सरकार से निवेदन करता हूं कि आप पांच kg राशन के बदले गरिबों के बच्चो को फिस और बुक कि व्यवस्था किए जाएं या तो सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों में बदल दिया जाय जैसे हर सरकारी संस्थाओं को प्राइवेट किया गया है और नहीं तो सभी के लिए 12 वी तक का शिक्षा सरकारी स्कूलों में ज़रुरी किया जाए।
जिससे हम गरीबों के बच्चे किसी तरह कम से कम 12 वी तक तो पढ़ ले धन्यवाद हम जानते हैं कि इस लेखन से बहुत सारे लोगों को जलन होगी लेकिन क्या करें जब बात गरीब बच्चों की हो तो लिखना पड़ता है।
(लेखक रमेश चन्द मौर्य/जन जीवन आधार फाउंडेशन के प्रबंधक) लेखक का विचार
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