17सूर्य मंदिरों का केंद्र बना है भारतवर्ष, आज से ही नही सनातन के इतिहास से ही भगवान सूर्य की बड़ी कृपा
देवलास-मऊ , देवर्षि देवल मुनि की तपोभूमि पर प्राचीन काल से स्थापित बाल सूर्य मंदिर जो वालार्क सूर्य मंदिर देवर्षि देवल धाम पर स्थित है सनातन धर्म और सनातन संस्कृत में सूर्य पूजन का इतिहास बहुत पुराना है। सनातन धर्म की आदि पंचदेवों में एक सूर्य देव भी है। मैं कलयुग का एकमात्र दिखाई देने वाला देव कहा जाता है। सूर्य देव को सूर्यनारायण मानते हुए ,देव ,,के रुप में बहुत से जगहों पर सूर्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। जो आज भी कई रहस्य को समेटे हुए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में प्राचीन सूर्य मंदिर वर्तमान में इतिहास के साक्षी बने हैं। कुछ मंदिर यथावत, है। और कुछ मंदिरों को मुस्लिम शासकों द्वारा विध्वंस कर दिया गया। जबकि कुछ मंदिर अपने असली आकार में नहीं है। लेकिन फिर भी इतिहास की अनेकों कहानियां समेटे हुए हैं। भारतवर्ष में उपस्थित सभी मंदिरों में से ,,वालार्क,, सूर्य मंदिर एक है जो देवल धाम पर स्थित है। ,, वालार्क,, सूर्य मंदिर के निर्माण के संबंध में तीन प्रकार के मत, लेख प्राप्त हुए हैं। जिसका वर्णन इस प्रकार है। नंबर 1 प्रथम मत, लेख, माग्व्येक्त्ति ग्रंथ,, व , साम्ब पुराण के अनुसार कहा गया है कि भगवान कृष्ण के वंशज साम्ब को कुष्ठ रोग हुई जिसमें मुक्ति के लिए साम्ब ने पृथ्वी लोक में ,सात,, जगहों पर भव्य सूर्य मंदिर बनवाए थे। और भगवान सूर्य की आराधना की थी। तब साम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति हुई उन्हीं सात मंदिरों में,वालार्क, सूर्य मंदिर भी एक है। साम्ब के द्वारा बनाए गए इन पृथ्वी लोक में सात सूर्य मंदिर के निर्माण का वर्णन मिलता है। जो अतीव प्राचीनतम है।,ये, मंदिर निम्नलिखित है। द्बितीव मत,,लेख,,,,,,। दूसरे मत को भगवान राम के साथ जोड़कर देखा जाता है इस संबंध में दो तरह की बातें कही जाती हैं। एक तो यह की भगवान राम ने वन गमन के समय इस स्थान पर रात्रि विश्राम किया था। और यहां सूर्य की उपासना करने के बाद सूर्य मंदिर का निर्माण हेतु आधारशिला रखी और बाद में गुप्तकालीन शासक विक्रमादित्य ने यहा का सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया। तृतीय मत,,,लेख,। तीसरा मत यह है कि वन गमन के समय नहीं बल्कि मुनि विश्वामित्र के साथ ताड़का वध के लिए बक्सर जाते समय भगवान राम ने यहां रात्रि विश्राम किया था। और फिर सूर्योपासना करने के बाद सूर्य मंदिर के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। बाद में महाराजा विक्रमादित्य के हाथों निर्माण करवाया इन तथ्यों में कितनी सच्चाई है अनुसंधान का विषय है। लेकिन सत्य चाहे जो भी हो पर देवलास की ऐतिहासिकता - और पुरातनता -पौराणिकता को झुठ लाया नहीं जा सकता। इस स्थान का संबंध इक्ष्वाकु वंश के सूर्य वंशी राजाओं से और बाद में गुप्तकालीन शासक महाराजा विक्रमादित्य से अवश्य रहा है।--वालार्क,, सूर्य मंदिर का निर्माण मिट्टी, चूना , लकड़ियों,,व,पत्थर का प्रयोग कर के हुआ था। समय-समय पर इनमें समितियों व क्षेत्रीय जनता के सहयोग से टाइल्स पत्थरों से सुंदरीकरण का कार्य करवाया गया।
परंतु मंदिर की प्राचीनता भव्यता अभी भी मौजूद है। --- ==मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से प्राप्त अनुसार -------------- यह सुची भारत में सूर्य मंदिरों की है जिसका निर्माण --6,शताब्दी से,,20, शताब्दी के मध्य हुआ।जो अभी भी मौजूद है। न/1/मोदेश सूर्य मंदिर ------मेहसाना गुजरात। /2/कटआरमल सूर्य मन्दिर ----------अल्मोणा,, उत्तराखंड। /3/रनकपुर सूर्य मंदिर----रणकपउर---राजस्थान। /4/सूर्य पहर मन्दिर ------मेहसाना,असम। 5/सूर्य मंदिर प्रतापगढ़,,,,,,, उत्तर प्रदेश। /6/दक्षिणार्क सूर्य मंदिर,,,, गया,, झारखंड। /7/देव सूर्य मंदिर,,,,, औरंगाबाद,, बिहार। /8/औंगआरई सूर्य मंदिर,,,, नालंदा,, बिहार। /9/बेलार्क मन्दिर सूर्य मंदिर,,,भोजपुर,, बिहार। /10/सूर्य मंदिर हंडिया उत्तर प्रदेश। /11/सूर्य मंदिर,, गया,,,,, गया झारखंड। /12/सूर्य मंदिर,,,,,,,,,, महोबा। /13/रहलीइक,, सूर्य मंदिर,,,,, बुंदेलखंड। /14/सूर्य मंदिर,,,,,,,,झालाबाड़। /15/सूर्य मंदिर,,,,,,,,रांची। /16/ सूर्य मंदिर,,,,,, जम्मू। /17/ सूर्य मंदिर,,,,,,,सहरसा कंदआह। ,। इस प्रकार से,,17, सत्रह सूर्य मंदिर स्थापित है।
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