आज भी भारत के इस मंदिर में धड़कता है भगवान श्री कृष्ण का दिल, जानें इसके पीछे की कथा
भगवान श्री कृष्ण विष्णु जी के आठवें अवतार माने जाते हैं।उन्होंने द्वापर युग में धरती पर जन्म लिया था और फिर 125 साल की उम्र में कृष्ण ने अपने मानव शरीर का त्याग कर वैकुंड प्रस्थान कर लिया था। इसके बाद पांडवों ने श्री कृष्ण के मानवता का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के बाद हैरान कर देने वाली बात यह रही कि अंतिम संस्कार में श्री कृष्ण का पूरा शरीर अग्नि में जल गया लेकिन उनका ह्रदय नहीं चला।इसके बाद पांडवों ने श्री कृष्ण के हृदय को समुद्र में प्रवाहित कर दिया। रखा जाता है कि श्री कृष्ण का दिल आज भी धड़क रहा है।
बाली के वध का मिला दंड!
बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने बहेलिया को बताया त्रेतायुग में श्रीराम के अवतार के रूप में उन्होंने सुग्रीव के बड़े बाई बाली का छुपकर वध किया था। पिछले जन्म की सजा उन्हें इस जन्म में मिली है। जहा ही पिछले जन्म में बाली था। यह कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया। इसके बाद से ही कलियुग की शुरुआत हो गई।
पानी में तैरता मिला श्रीकृष्ण का दिल
एक बार नदी में नहाते हुए राजा इंद्रद्युम्न को लोहे का मुलायम पिंड मिला। लोहे के नरम पिंड को पानी में तैरता देख राजा आश्चार्य में पड़ गए। इस पिंड को हाथ लगाते ही उन्हें भगवान विष्णु की आवाज सुनाई दी। भगवान विष्णु ने राजा इंद्रद्युम्न से कहा, 'यह मेरा हृदय है, जो लोहे के एक मुलायम पिंड के रूप में हमेशा जमीन पर धड़कता रहेगा।' इसके बाद राजा ने उस पिंड की भगवान जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ जी की मूर्ति के पास ही स्थापना कर दी।
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