इस महामारी नवजात शिशुओं व बच्चों की देखरेख और सुझाव : कोविड 19
आजमगढ़ / कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से पूरे देश में एक बार फिर कहर बरपा हुआ है। इस बार सबसे ज्यादा डर युवाओं और बच्चों के लिए है, क्योंकि उनके लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है। ऐसे में अपने बच्चों को कोरोना के खतरे से कैसे बचाएं?
2020 वाले कोरोना के मुकाबले 2021 वाला कोरोना ज्यादा खतरनाक भी है और ज्यादा दर्दनाक भी। खतरनाक इसलिए क्योंकि 2021 वाला कोरोना अब इच्छाधारी हो चुका है, रूप बदल रहा है। कोरोना के लक्षण समझना और पकड़ना मुश्किल हो रहा है। और दर्दनाक इसलिए क्योंकि कोरोना अब छोटे छोटे मासूम बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है। बच्चों को गंवाने का जो खतरा है, वो आप-हम सभी के लिए बेहद दर्दनाक है. बच्चे इस बार गंभीर रूप से संक्रमित हो रहे हैं।
कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए इसलिए भी कहर बन रही है. क्योंकि, नवजात या छोटे बच्चे सांस में परेशानी नहीं बता सकते. नवजात या छोटे बच्चे संक्रमण के बारे में नहीं बता सकते. संक्रमित नवजात या छोटे बच्चे मां से दूर नहीं रह सकते. बच्चे संक्रमण पर सावधानियां नहीं बरत सकते। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. बच्चों को रेमडेसिविर जैसी जीवनरक्षक दवाएं नहीं दी जा सकती। बच्चों के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं है।
कोरोना के खिलाफ ‘पंच’मंत्र
1 – मास्क
2 – सोशल डिस्टेंसिंग
3 – बाहर नहीं घूमना
4 – हाथ धोते रहना
5 – इम्युनिटी बढ़ाना
आज देश में कोरोना के एक्टिव मरीज़ों की संख्या 15 लाख से पार हो चुकी है। कोरोना के इन मरीज़ों में 3.90 % संख्या 0 से 10 साल तक के बच्चों की है। देश में कोरोना मरीज़ों में 7.99% संख्या 11 से 18 साल तक के बच्चों की है।
नवजात या बच्चों में कोरोना संक्रमण के लक्षण कैसे पहचाने जा सकते हैं?
अगर बच्चे को ज्यादा दिनों से बुखार हो, शरीर और पैर में लाल चकत्ते पड़ जाएं, होठ लाल हो जाएं या फट जाएं, चेहरा नीला पड़ जाएं, उल्टी या दस्त हो, बच्चे के हाथ-पैर में सूजन आ जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि डबल म्यूटेंट वायरस बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है।
बच्चों को कोरोना संक्रमण बड़ी समस्या है और इसका समाधान ये हो सकता है कि हम बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाएं और उन्हें ऐसी एक्सरसाइज कराएं, जिससे बच्चे कोरोना संक्रमण को हरा सकें।
1. बच्चे को गुब्बारा फुलाने के लिए दें, इससे बच्चों के फेफड़े मजबूत होंगे।
2. बच्चों को गुनगुना पानी पीने को दें, इससे संक्रमण का खतरा कम होता है।
3. बच्चों को सांस वाली एक्सरसाइज कराएं, इससे बीमारियों के रोकथाम में मदद मिलती है।
4. बच्चों को खट्टे फल खाने के लिए प्रेरित करें, इससे बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ेगी।
5. बच्चों को हल्दी वाला दूध दें, इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलेगी।
6. बच्चों को बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करें, इससे संक्रमण का खतरा कम होगा।
आप बच्चों को कोरोना के संक्रमण से सावधान करें. उन्हें डराएं नहीं, ऐसा करने से बच्चों की मनोदशा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. अब आपके मन में उठ रहे कुछ सवालों का जवाब दे देते हैं. जिनसे आपको कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने में मदद मिलेगी।
प्रश्न 1- नवजात या छोटे बच्चों में कोरोना लक्षण कैसे पहचानें?
उत्तर-
बच्चा अगर सुस्त हो तो,
बच्चा खाना-पीना कम कर दे तो,
बच्चा चिड़चिड़ा हो गया हो तो,
पसलियां ज्यादा चल रही हों तो,
पहले की अपेक्षा ज्यादा सो रहा हो।
प्रश्न 2- नवजात या छोटा बच्चा कोरोना पॉजिटिव हो तो क्या करें?
उत्तर-
डॉक्टर्स से परामर्श करें,
डॉक्टर की बताई दवाइयां बच्चे को दें।
प्रश्न 3- बच्चों को संक्रमण से बचाव के लिए क्या एहतियात बरतें?
उत्तर-
बच्चे को मास्क लगाने को कहें,
बच्चे का हाथ हमेशा साफ कराते रहें,
बच्चे को छूने से पहले खुद का हाथ भी साफ रखें।
प्रश्न 4- बच्चों को खाने में क्या दें और क्या सावधानियां बरतें?
उत्तर-
इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फल दें,
इम्यूनिटी बढ़ाने वाली सब्जियां दें,
च्यवनप्राश और खट्टे फल खाने को दें।
प्रश्न 5- कोरोना संक्रमण पर क्या बच्चों के लिए कोई दवा है?
उत्तर-
बच्चों को दवा डॉक्टर की सलाह पर दें,
विटामिन डी की दवा दी जा सकती है,
जिंक की दवा भी कोरोना में कारगर।
प्रश्न 6- क्या बच्चे परिवार को संक्रमित कर सकते हैं?
उत्तर-
बच्चे से भी कोरोना फैल सकता है,
संक्रमित होने पर बच्चे को सबसे दूर रखें,
बच्चे का ख्याल रखने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति साथ रहे,
साथ रहने वाला व्यक्ति भी मास्क लगाकर रहे।
प्रश्न 7- बच्चों में कोविड 19 के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं?
उत्तर-
उल्टी और बुखार आना,
पेट दर्द और आंखों में लालिमा,
कुछ केस में हाथ-पैर में भी सूजन।
इसके अतिरिक्त बचाव के लिए रोज आयुष काढ़ा अवश्य पीने को दें। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वर्णप्राशन रामबाण औषधि है। सेप्टिलिन और एक्स्ट्राम्यून जैसी दवाएं चिकित्सक से परामर्श करके ले सकते हैं, इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वे कोविड के संक्रमण से बचे रहते हैं। साथ ही अनुलोम विलोम द्वारा भी फेफड़े को मजबूत किया जा सकता है।
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