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दुर्वासा महामण्डलेश्वर संत शिरोमणि ब्रह्मलीन रामलाल दास मौनी जी महाराज की मनाई गई आठवीं पुण्य स्मृति

अहरौला आजमगढ़।दुर्वासा महामण्डलेश्वर संत शिरोमणि ब्रह्मलीन रामलाल दास मौनी जी महाराज की आठवीं पुण्य स्मृति दिवस के अवसर पर मां शारदा ग्रुप आफ कॉलेज शम्भूपुर गहजी आजमगढ़ में एक विशाल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष एवं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किया। 
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक संत की पुण्यतिथि में शामिल होना हम सबके लिए सौभाग्य की बात है देवर्षि दुर्वासा की तपस्थली के संत शिरोमणि ब्रह्मलीन मौनी बाबा की पुण्यतिथि पर उमड़ा जन सैलाब उनकी आभामण्डल को बताता है। भारत ऋषियों एवं मुनियों की धरती है। हमारा समाज उन्ही से प्रेरणा प्राप्त करता है। दुनिया में ऐसे तमाम देश हंै, जिनको वाह्य आक्रमणकारियों ने आक्रमण करके उनके राजा को मिला लिया तो उस देश का इतिहास और भूगोल ही बदल गया। लेकिन हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जहां विदेशी आक्रमणकारियों का बेड़ा हिंदुस्तान को पर नहीं कर पाया और यहीं खत्म हो गया। 
उन्होंने आगे कहा कि हमारे जीवन में सिंबल यानी प्रतीक का बड़ा महत्व होता है। ये प्रतीक सम्मान या गुलामी की यादें दिलाते हैं। सन् 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इंग्लैंड की राजसत्ता का ध्वज जो गुलामी का प्रतीक था उसे उतारा गया तथा स्वतंत्र भारत की सत्ता का प्रतीक तिरंगा लहराया गया। इसी प्रकार अयोध्या के लोगों ने भी अपने सम्मान की रक्षा की अग्नि बुझने नहीं दिया, वही अग्नि समय आने पर ज्वाला बन गयी। जिसकी लपटों ने गुलामी के प्रतीक को जला दिया। उसी के स्थान पर उत्तर भारत का सबसे विशाल श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हुआ है। जिसकी रचना ऐसी की गई है कि वह 1000 साल तक टिकी रहेगी। 
अयोध्या की पावन धरती से पधारे श्री बावन मंदिर के महंत वैदेही बल्लभ शरण महाराज ने कहा कि यह संतों की भूमि है। ऋषि एवं कृषि प्रधान देश में बाबू फौजदार सिंह ने भारतीय संस्कृति को पुष्पित व पल्लवित करने हेतु शिक्षा एवं लोक कल्याण के लिए जो दीप जलाया है, उसका आलोक चारों दिशाओं में फैल रहा है।
श्रद्धांजलि सभा में गोरक्ष पीठाधीष्वर महंत अवैद्यनाथ महाविद्यालय महराजगंज के प्राचार्य मेजर डॉक्टर भगवान सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह मेरी जन्मभूमि है। मेरी कर्मभूमि गोरखपुर है। मैं बाबू फौजदार सिंह द्वारा मौनी बाबा की स्मृति में प्रत्येक साल श्रद्धांजलि सभा के आयोजन से अभिभूत हूँ। ऐसा करके वह भारतीय संस्कृति को संरक्षित कर रहे हैं।
दुर्वासा मंडल आजमगढ़ के महंत श्री मुन्ना बाबा दैवज्ञ ने श्री चंपत राय की नामाक्षरी सुनाया, जिसे सुनकर लोग मंत्र मुग्ध हो गए।
श्रद्धांजलि सभा में दीप प्रज्वलन के उपरांत संस्थापक श्री फौजदार सिंह द्वारा मुख्य अतिथि श्री चंपत राय को माल्यार्पण, अंग वस्त्रम् व प्रतीक चिन्ह प्रदान करने के बाद मंचासीन अतिथियों सहित आगंतुक अतिथियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर 500 से अधिक असहाय व गरीबों को कंबल भी वितरित कर, विशाल भंडारा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर महंत श्री सत्य व्रत ब्रह्मचारी जी महाराज, महंत श्री हरि प्रसाद दास जी, महंत श्री नारायण दास नागा बाबा, चंद्रमा ऋषि आश्रम के महंत श्री बमबम जी महाराज, महंत श्री प्रेम दास जी महाराज, महंत शंकर सुअन जी महाराज, सहित अनेक को संतगण एवं संभ्रांत जनों में इंद्रासन राय, अशोक पाठक, पंडित सुधाकर चैबे, लाल बहादुर चैरसिया, विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर दिवाकर सिंह, डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा, विद्यालय के निदेशक संजय सिंह, नितिन सिंह, राममिलन सिंह, मनोज चैबे, भृगु नाथ सिंह, विवेक सिंह, हरिद्वार सिंह, चेतनारायण सिंह, नितिन तिवारी, कनक राजभर, सौरभ पाण्डेय, संदीप सिंह सहित अनेकों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर सानंद सिंह व एडवोकेट दिवाकर सिंह ने किया।

 


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