किसान आंदोलन को वापस लेने में कौन सा पेच रूकावट डाल रहा है, आइये आज इस पर खुलकर...
पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से जारी किसान आंदोलन आज खत्म हो सकता है। केंद्र सरकार ने किसानों की मांग पर लचीला रुख अपनाया है और माना जा रहा है कि दोपहर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन खत्म करने को लेकर फैसला हो सकता है। हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनपर पेच फंसा हुआ है।
किसानों की मांगे क्या, कहां फंसा है पेच
एमएससी पर सरकार से गारंटी मिलने की संभावना को कम देखते हुए किसान समिति सरकारी पैनल से मुआवजा और नियमों पर स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं।
-किसान संगठन पहले किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं तभी आंदोलन वापस लेंगे। किसानों ने 2017 से किसानों पर लटके मामलों का हवाला दे रहे हैं।
किसान आंदोलन में मृत किसानों को ‘पंजाब मॉडल’ के तर्ज पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पंजाब में मृत किसानों के परिवार को 5 लाख रुपये और किसी सदस्य को नौकरी दी जा रही है।
- गिरफ्तार किसानों को रिहा करने की मांग पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
-लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्ती की मांग पर केंद्र चुप है ।
किसान संगठनों के आंदोलन खत्म करने की घोषणा के बाद किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएंगे।
आंदोलन में मारे गए किसानों को मुआवजे पर केंद्र सैंद्धांतिक तौर पर सहमत।
संशोधन बिल को सभी पक्षों से विचार के बाद ही संसद में पेश किया जाएगा।
पराली जलाने को केंद्र सरकार ने अपराध की श्रेणी से बाहर किया।
क्या बड़े अपराध वाले मुकदमे भी होंगे वापस?
अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि क्या गंभीर अपराध वाली धाराओं में दर्ज मुकदमे भी वापस लिए जाएंगे? 26 जनवरी को लाल किला पर हंगामा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को लेकर दर्ज मामलों को क्या सरकार वापस लेगी? खालिस्तानी झंडे फहराने वाले लोगों पर दर्ज मुकदमे क्या सरकार वापस लेगी? सिंघु बॉर्डर पर एक दलित की हत्या मामले में सरकार का क्या रुख है।
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