"मोदी सरकार ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर हमला किया हैं"- मल्लिकार्जुन खड़गे
नई दिल्ली। चुनाव से जुड़ी जानकारी और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज आम लोगों को उपलब्ध कराने के नियमों में बदलाव को लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर हमला किया है। असल में सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज के सार्वजनिक निरीक्षण पर पाबंदी लगा दी है।
इस बदलाव को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा- पहले मोदी सरकार ने चीफ जस्टिस को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से हटा दिया था और अब वे चुनावी जानकारी को जनता से छिपाना चाह रहे हैं। यह सरकार की सोची समझी साजिश है। उन्होंने चुनाव आयोग पर निशाना साधा और लिखा- जब भी कांग्रेस ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची से नाम हटाए जाने और ईवीएम में पारदर्शिता के बारे में लिखा, तो चुनाव आयोग ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया और हमारी शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे गए कागजात या दस्तावेज को प्रतिबंधित करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 (2)(ए) में संशोधन किया है। इस नियम के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। लेकिन, अब इसमें बदलाव कर दिया गया है। नियम 93 कहता है, “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे”। इसे बदलकर “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज ‘नियमानुसार’ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेंगे” कर दिया गया है। इसका मतलब है कि इसके लिए नए नियम के मुताबिक पहले से अनुमति लेनी होगी।
अधिकारियों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ करके फर्जी नैरेटिव फैलाया जा सकता है। इसलिए नियम बदले गए हैं। बदलाव के बाद भी ये उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध रहेंगे। आम लोग इसे लेने के लिए अदालत जा सकते हैं। असल में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने एक केस में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का निर्देश दिया था। इसमें सीसीटीवी फुटेज को भी नियम 93(2) के तहत माना गया था। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा था कि इस नियम में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं है। इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया है।
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