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उपजाऊ माटी काहें भयल बंजर....मुझे अपनों ने लूटा , गैरो में कहा दम था......ललई, लल्लन, लालबहादुर की टीम खेली तो दूसरी तरफ पार्टी के स्व पारस यादव अपने दम पर खेल बनाते और विगाड़ते रहे


जौनपुर।शैशवकाल से ही समाजवादी पार्टी के लिए जौनपुर की धरती उपजाऊ रही है। 1991 से लेकर अब तक हुए चुनावों में यहां की अधिकांश सीटों पर सपा का ही कब्जा रहा या तो दूसरे स्थान पर रही है। मछलीशहर लोकसभा सीट पर 2014 से पहले समाजवादी पार्टी ने जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। लेकिन पंचायत चुनाव, नगर निकाय चुनाव में पार्टी के भीतर घातियों के चलते सपा को हार का सामना करना पड़ा है।  
जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव, नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव या एमएलसी के चुनावों में समाजवादी पार्टी में चल रही वर्चस्व की लड़ाई में सपा को मुंह को खानी पड़ी है।
यहां पर कभी स्थानीय और बाहरी नेताओ को लेकर हुई जंग में सपा को करारी हार मिली, कभी स्थानीय नेताओं में छिड़ी जंग में पार्टी की मटियामेट हुई। 2003 के बाद यहां एक तरफ ललई,लल्लन, लालबहादुर की टीम खेली तो दूसरी तरफ पार्टी के पारस अपने दम पर खेल बनाते और विगाड़ते रहे।
1995 में हुए पंचायतीराज के विकेन्द्रीकरण के बाद हुए चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बीजेपी की श्रीमति कमला सिंह आसिन हुई थी।
2001 में हुए चुनाव में बसपा की प्रभावती पाल चेयर मैन बनी थी। उस चुनाव में अधिकांश सदस्य समाजवादी पार्टी के विचारधारा वाले जीते थे, इसके बाद भी सपा की समर्थित प्रत्याशी अंजू यादव को इस लिए बुरी तरह से हार का सामना करना था कि अंजू को मछलीशहर के सांसद सीएन सिंह की पैरवी पर सपा ने प्रत्याशी बनाया था। स्थानीय नेताओं के भीतर घात के चलते सपा प्रत्याशी अंजू तीसरे स्थान पर रही।
उसके बाद बसपा सरकार में एमएलसी चुनाव हुआ, इस चुनाव में सपा के तत्कालीन एमएलसी लल्लन यादव भीतर घात के शिकार हुए, सपा विचारधारा के अधिकांश मतदाता होते हुए भी लल्लन चुनाव हार गये। बसपा की प्रभावती पाल यह चुनाव जीत गयी।
2006 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में सपा चल रही वर्चस्व की जंग के बावजूद समाजवादी पार्टी अधिकृत प्रत्याशी इस लिए चुनाव जीती थी कि उस समय डीएम अनुराग यादव थे। सूत्रों की माने तो अनुराग यादव यह सीट सपा की झोली में डालने के लिए हर हथकण्डे अपनाया था।
2007 में यूपी में बीएसपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनने के बाद हुए पंचायत चुनाव में 73 सदस्यो में से सपा के विचारधारा वाले 40 सदस्य चुनाव जीते थे। उस समय यह जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट दलित महिलाओं के लिए आरक्षित था। सपा ने अपना प्रत्याशी शारदा दिनेश चौधरी को बनायी थी उधर बसपा ने अनीता सिध्दार्थ को मैदान में उतारी थी। शारदा दिनेश चौधरी उत्तर वाले नेता जी के करीबी होने के कारण सपा के पितामह नाराज हो गये उन्होने अपना आर्शीवाद अनीता सिध्दार्थ को दे दिया जिसका परिणाम रहा कि अनीता सिध्दार्थ को 54 वोट मिला था जबकि सपा प्रत्याशी को मात्र 18 मत पाकर संतोष करना पड़ा था।
हलांकि 2012 में सपा की सरकार बनी तो वगैर पितामह की रजामंदी पर उत्तर वाले नेताजी ने अविश्वास लाकर अपने चहेते शारदा दिनेश चौधरी को इस कुर्शी पर बैठा दिया।
उसके बाद हुए एमएलसी चुनाव में उत्तर और दक्षिण वाले नेता अपने आपको आईसोलेट कर लिया जिसका परिणाम रहा कि सपा विचारधारा के बहुमत वाले वोटरो वाली इस सीट को बसपा के ब्रजेश सिंह "प्रिंसू" ने जीत लिया।

2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ , सूबे में सपा की सरकार रही , सपा ने जमीनी नेता राजबहादुर यादव को अपना उम्मीदवार बनाया , उनके नाम की घोषणा होते ही जिले के कद्दावर नेताओ में हड़कम्प मच गया। सपा का एक पक्ष राजबहादुर यादव को हटाने के लिए कुछ जिला पंचायत सदस्यों को लखनऊ ले जाकर मुख्यमंत्री के सामने परेड कराने का प्रयास किया। लेकिन अखिलेश यादव अपने निर्णय पर अडिग रहे ही साथ ही सख्त निर्देश देते हुए वापस भेजा कि किसी ने गद्दारी किया तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। जिसका परिणाम रहा कि राजबहादुर यादव 81 वोट पाकर नया रिकार्ड दर्ज कर दिया। बीएसपी की प्रभावती पाल के खाते में मात्र दो मत आया।

समाजवादी पार्टी के घटते जनाधार ने खड़े किए कई सवाल

जौनपुर।
हाल में सम्पन्न हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी विचारधारा के सबसे अधिक सदस्य होने के बाद भी सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। यही हाल ब्लाक प्रमुखों के चुनाव में हुआ। 21 ब्लाकों में से मात्र दो प्रमुख समाजवादी पार्टी के हुए। हालांकि इन दोनों चुनावो में धनबल का बोलबाला रहा। सपा के पूर्व मंत्री ललई यादव खुद अपनी सीट शाहगंज ब्लाक कि नहीं बचा सके।


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