चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बिटिया को मिली एमबीबीएस की डिग्री कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता .....
कादीपुर, सुलतानपुर : चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बिटिया को मिली एमबीबीएस की डिग्री,"कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो"। कवि दुष्यंत की इस पंक्ति को चरितार्थ कर दिखाया कादीपुर नगर की एक बिटिया डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव ने।
कादीपुर क्षेत्र के प्रख्यात चिकित्सक एवं समाजसेवी रहे स्वर्गीय डॉक्टर गुरुदीन लाल श्रीवास्तव की पौत्री व सिद्धार्थ हॉस्पिटल के निदेशक डॉ मंगला प्रसाद श्रीवास्तव की पुत्री डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव अपने बाबा पिता के नक्शे कदम पर चलती हुई आखिर में एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर इतिहास रच दिया। डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव की प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा कादीपुर व कानपुर में संपन्न हुई। वर्ष 2017 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट क्वालीफाई कर प्रवरा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल कॉलेज लोनी महाराष्ट्र में प्रवेश प्राप्त किया। डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव 4 वर्ष 6 माह के अथक परिश्रम के बाद वर्ष 2022 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर अन्य छात्र-छात्राओं की प्रेरणा स्रोत बन गई। डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव के बाबा स्वर्गीय गुरुदीन लाल श्रीवास्तव जो क्षेत्र के प्रख्यात चिकित्सक और समाजसेवी रहे उन्हें डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव अपनी प्रेरणास्रोत मानती हैं पिता सिद्धार्थ हॉस्पिटल कादीपुर के निदेशक व प्रख्यात चिकित्सक डॉक्टर मंगला प्रसाद श्रीवास्तव को अपना आदर्श मान एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा दिया। डॉक्टर शैलजा श्रीवास्तव की मां श्रीमती मीनू श्रीवास्तव एक साधारण गृहणी होने के साथ-साथ अपने बच्चों के भविष्य के विकास में पूरी तरह समर्पित रहकर उत्साहवर्धन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आज पेशे से चिकित्सक व समाजसेवी डॉ मंगला प्रसाद व श्रीमती मीनू श्रीवास्तव की सबसे बड़ी पुत्री डॉक्टर साक्षी श्रीवास्तव एमएस गाइनी की डिग्री हासिल कर शाहजहांपुर में अपनी सेवाएं दे रही है तो वहीं पुत्र सिद्धार्थ भी अपने परिजनों के नक्शे कदम पर चलते हुए हम किसी से कम नहीं चरितार्थ करते हुए दिल्ली में एमबीबीएस की पढ़ाई फाइनल वर्ष में कर रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान के माध्यम से पीड़ित मानवता की सेवा का व्रत धारण करने वाले इस परिवार का समाज में अद्वितीय सम्मान प्राप्त है।
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