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कोरोना के बढ़ते प्रकोप से यूपी में अहम फैसला, 60 दिन की पैरोल या जमानत पर रिहा होंगे कैदी

उत्तर प्रदेश की जेलों में संक्रमण फैलने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी ने व्यापक पैमाने पर सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों की रिहाई की योजना घोषित की है। न्यायिक अधिकारियों को जेलों में जाकर योजना के तहत कैदियों को 60 दिन की पैरोल अथवा अंतरिम जमानत पर रिहा करने की कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।महानिदेशक कारागार से उन कैदियों का विवरण मांगा गया है जो सजा पूरी करने के बाद अर्थदंड जमा न करने के कारण जेल में हैं। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिये जुर्माने का भुगतान कर उन्हें रिहा किया जा सकेगा।
अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी व महानिदेशक कारागार आनंद कुमार कमेटी के सदस्य हैं। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोरोना संक्रमण की निगरानी के लिए बनी है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के महानिबंधक आशीष गर्ग को पत्र लिखकर योजना का अनुपालन कराने का आग्रह किया है। सभी जेल अधीक्षकों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव से लगातार संपर्क में रहने का निर्देश दिया गया है। प्रदेश स्तरीय निगरानी टीम बनी है जिसे जेलों में जाकर न्यायिक अधिकारियों की कार्रवाई की रिपोर्ट 15 मई तक हाई पावर कमेटी को सौंपने को कहा गया है। हाईपावर कमेटी की अगली बैठक 22 मई को होगी।
योजना के तहत 30 मई तक कैदियों की कोर्ट में पेशी पर रोक लगाई गई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी होगी। जो कैदी पैरोल पर हैं उनकी पैरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी। शांतिपूर्ण पेरोल के बाद जो समर्पण कर चुके हैं,उन्हें फिर से 60 दिन की पेरोल दी जाएगी। सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपित को 60 दिन की विशेष पेरोल अथवा अंतरिम जमानत मिलेगी, बशर्ते जेल में प्रतिकूल कार्रवाई न हुई हो।
कहा गया है कि ऐसे कैदी जो 2020-2021 में अथवा पांच साल के भीतर कभी पेरोल पर छूटे हो, उन्हें भी 60 दिन की पेन्डेमिक पैरोल दी जाए। जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है। एक हफ्ते में 60 दिन के पैरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाय। 65 साल से अधिक आयु के महिला-पुरुष कैदियों, 50 साल से अधिक की महिला कैदियों, सजायाफ्ता गर्भवती महिलाओं, कैंसर, हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सभी कैदियों को 60 दिन का पैरोल पाने का हकदार माना गया है।
इन्हें पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं
हत्या, आजीवन कारावास का अपराध, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो।
राज्य व सेना के विरुद्ध अपराध, स्टांंप अपराध, डकैती व दुष्कर्म, दुष्कर्म का प्रयास, मनी लांड्रिंग।
यूपी कोका, पाक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीड़ित के लिए खतरा। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लंबित या खारिज होने वाले मामले के आरोपित।


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