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नीतीश सरकार ने बिहार में की लोकतंत्र की हत्या, डॉ अरुणेश यादव।

भाकियू लोकशक्ति के राष्ट्रीय सलाहकार और समाजसेवी संस्था यदुवंशी कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अरुणेश यादव ने कहा कि जब से कार्यपालिका यानी विधान सभा, विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा गठित हुई है, विधायकों और सांसदों को जनता का प्रतिनिधि माना गया। सभी सदनों में जनता की बात रखने का कार्य या फिर सामाजिक न्याय की बात या समय-समय पर चल रहे जन समस्याओं से जुड़े सवाल रखना और उन समस्याओं का निराकरण करने की जिम्मेदारी एक विधायक या सांसद की मानी जाती रही है। सत्ता पक्ष का विधायक या सांसद हो या विपक्ष का दोनों का ही काम जनता का प्रतिनिधित्व करने का रहा है। अभी तक के इतिहास में सभी सदनों में इनकी मान मर्यादा रखी गई है और इनकी बातों को गंभीरता से लिया जाता रहा है।

23 मार्च का दिन कई मायनों में महत्व रखता है। इसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम कर शहीद हुए थे और यह दिन शहीदी दिवस के नाम से माना जाता है।
23 मार्च को ही प्रखर समाजवादी विचारधारा के जनक, स्वतंत्रता के आंदोलन में प्रमुख भागीदारी रखने वाले और अपने समय के नेता प्रतिपक्ष रहे समाज वादी डॉ राम मनोहर लोहिया का भी जन्मदिन है। जिसको समाजवाद की विचारधारा से जुड़े लोग उनकी स्मृति में उनको श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनको याद करके भी मनाते हैं इस 23 मार्च को ही बिहार की विधानसभा में ऐसा घृणित कार्य हुआ जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। नीतीश कुमार ने लोकतंत्र और संवैधानिक प्रक्रिया को ताक में रखकर बिहार की विधानसभा और विधान परिषद में पुलिस और सेना बल का दुरुपयोग करके ऐसा विधेयक पास करवा लिया। जिससे अब न्यायपालिका की भूमिका लगभग खत्म हो जाएगी। पुलिस जिस जिसे भी चाहे शक के बिना पर कारावास में भेज सकती है वह भी बिना किसी अरेस्ट वॉरंट के।

महागठबंधन के विधायकों और पत्रकारों ने इसका विरोध किया, उनकी विधानसभा और विधान परिषद में जमकर पिटाई की गई और उनको सदन से बाहर फेंक दिया गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और 26 मार्च को बिहार बंद का ऐलान किया। नीतीश कुमार जो जयप्रकाश आंदोलन से नेता बनकर उभरे हैं। एक समय में समाजवादी विचारधारा के प्रखर नेता माने जाते रहे हैं और 2014 से पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी रहे हैं। उनकी छवि समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने वाली रही है। क्या नीतीश कुमार श्रजन घोटाले सहित 50 से ज्यादा घोटालों और पिछले 15 साल में किए गए कार्य काले कारनामों कि सभी फाइलें बीजेपी ने सीबीआई के हाथ में सौंप रखी है। उन पर लोकतंत्र की हत्या करवाने का दबाव बना रही है। सवाल कई हैं जिनके जवाब बिहार की राजनीति की दिशा और दशा तय करेंगे देखने वाली बात यह रहेगी कि विपक्ष यानी महागठबंधन की भूमिका क्या रहेगी क्या वह नीतीश कुमार पर दबाव बनाने में सफल रहेंगे ।।


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