मैं सच बोल रहा हूं सर, वो मेरी मां के अंतिम संस्कार के पैसे हैं...लौटा दीजिए, स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाया बेटा
कानपुर। सर, वो मेरी मां के अंतिम संस्कार के रुपये हैं...मुझे लौटा दीजिये मैं सच बोल रहा हूं...। यह कहते-कहते 21 साल के आकाश के आंसू भले ही थम न रहे हों लेकिन उसके लफ्जों पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था। एक गाड़ी में पड़ी मां की लाश की ओर इशारा कर वह कांशीराम अस्पताल के स्टाफ से यही कहता रहा कि काउंटर पर जो रुपये छूटे हैं वह मेरे हैं, मां का अंतिम संस्कार करना है। डेढ़ घंटे तक जब अस्पताल प्रबंधन को उसकी हकीकत पर यकीन नहीं हुआ तो उसे पुलिस के पास भेज दिया। पुलिस के सामने भी वह रोते-रोते यही कहता रहा। पौने दो घंटे बाद पार्षद पति के हस्तक्षेप के बाद उसे रुपये वापस मिले तो वह अपनी मां का अंतिम संस्कार कर सका। एक बेटे की मां के अंतिम संस्कार के लिए की गई जद्दोजहद को जिसने भी देखा वह व्यवस्था को कोसता रहा और बेटे पर तरस खाता रहा। दरअसल, मान्यवर कांशीराम अस्पताल में मंगलवार सुबह 11.30 बजे चकेरी के टटिया झनाका निवासी पेंटर आकाश मां विजमा (45) को भर्ती कराने आया था। पथरी के इलाज के बावजूद विजमा की तबीयत बिगड़ी और उनका देहांत हो गया। वह काउंटर पर पर्चा बनवाकर लौटा ही था कि गाड़ी में मां की लाश देख बेसुध हो गया। तभी उसे पता चला कि जेब में रखे 13 हजार रुपये काउंटर पर ही गिर गए हैं। इधर काउंटर के पास पन्नी में लिपटे रुपये पड़े देख जाजमऊ निवासी जीनत ने उसे उठाकर स्टाफ को दे दिए।
स्टाफ ने सीएमएस डॉ. स्वदेश गुप्ता को सौंपा। इधर, वहां पहुंचा आकाश पैसे वापसी के लिए गिड़गिड़ाने लगा, लेकिन किसी को यकीन नहीं हुआ कि वह रुपये उसके हैं। सीएमएस ने रुपये चकेरी थाने भिजवा दिए। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे गांधीधाम वार्ड के पार्षद पति व पूर्व पार्षद मनोज यादव ने पुलिस से वार्ता कर आकाश के रुपये लौटाए। इस दौरान पुलिस से तीखी नोक झोंक भी हुई। दोपहर करीब डेढ़ बजे उसे रुपये मिल सके। इसके बाद उसने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। आकाश ने बताया कि पिता ड्राइवर हैं वह मां का शव देख बेसुध हो गए थे। उसकी पांच बहनें हैं। यदि रुपये नहीं मिलते तो मां का अंतिम संस्कार कैसे करता। वहीं उसका आरोप है कि इमरजेंसी जब वह पहुंचा था तो कोई डॉक्टर नहीं था।
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