Religion and Culture / धर्म और संस्कार

लोभ, लालच को छोड़ना सबसे बड़ी कुर्बानी– मौलाना फैसल कमर

जौनपुर : इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक आखरी महीना जिलहिज्जा कि 10 तारीख को ईद उल अजहा की नमाज अदा की जाती है। कोविड कॉल के 2 साल के बाद ईद उल अजहा के मौके पर शाही ईदगाह में ईद की नमाज बड़ी संख्या में लोगों ने अदा की, ईद की नमाज हजरत मौलाना जफर साहब के दामाद मौलाना फैसल कमर साहब ने अदा कराई,

इस मौके पर आवाम को खैताब करते हुए हजरत मौलाना ने बताया कि जब अल्लाह ने एक सपने के माध्यम से
हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम जो अल्लाह के पैगंबर थे और खलीलुल्लाह कहलाए से सबसे अजीज चीज को कुर्बान करने के लिए कहा तो उन्होंने अल्लाह की राह में अपनी सबसे अजीज चीज अपनी औलाद हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का फैसला किया जो अल्लाह को बहुत पसंद आया बाद में अल्लाह  ने फरिश्तों को भेजकर उस कुर्बानी को एक भेड़ की शक्ल में बदल दिया, तब से कुर्बानी करने का लगभग पांच हजार साल से यह सिलसिला जारी है और अल्लाह की राह में उसके बंदे उस कुर्बानी के प्रतीक के रूप में जानवर जिबह करते हैं उन्होंने बताया कि अरबी में कूर्ब का मतलब नजदीक होता है, इसीलिए इसको ईद ए कुर्बा भी कहते हैं,और कुर्बानी करने के बाद बंदा अपने रब के नजदीक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि अल्लाह के नेक बंदों को चाहिए कि वह अल्लाह के रास्ते में अपने हर बुरे काम छोड़ दे और नेक रास्ते पर अमल करते हुए अपनी जिंदगानी गुजारे, लोभ ,लालच ,बेईमानी छोड़ना ही सबसे बड़ी कुर्बानी।
लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद उल अजहा की मुबारकबाद दी और अपने अपने घरों पर जाकर जानवर जिबे कराने का काम किया,।
नमाज के वक्त जिला प्रशासन के लोग भी ईदगाह के इर्द-गिर्द मौजूद रहे।
इस मौके पर शाही ईदगाह कमेटी के मेंबर ,मो शोएब खां,नेयाज ताहिर ,रियाजुल हक,हाजी इमरान, अबुजर अंसारी,जफर,आदि लोग मौजूद रहे।


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