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महामारी के दौरान अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें - सुप्रीमकोर्ट

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को अवैध तौर पर गोद लिए जाने में संलिप्त गैर सरकारी संगठनों और लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि 5 जून तक विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक 30,071 बच्चे अनाथ हो गए. इनमें से ज्यादातर बच्चे महामारी के कारण अभिभावकों के गुजरने या छोड़ दिए जाने के कारण बेसहारा हुए।

अदालत ने अभिभावक को खोने वाले या बेसहारा अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लिए जाने का आमंत्रण देना कानून के प्रतिकूल है क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की भागीदारी के बिना गोद लेने की अनुमति नहीं है. जस्टिस एल. एन. राव और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की बेंच ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2015 के प्रावधानों और केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार करना चाहिए जिससे प्रभावित बच्चों का फायदा हो।

शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोरोना या किसी अन्य कारण से पिछले साल मार्च से अपने अभिभावकों को खो देने वाले या अनाथ हो गए बच्चों की पहचान करने का काम जारी रखने तथा बिना किसी देरी के इस संबंध में आंकड़े एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर मुहैया कराने को कहा. पीठ ने कहा, बाल कल्याण समिति को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा जिस वित्तीय लाभ का हकदार है, वह उसे बिना किसी देरी के मुहैया कराया जाए. राज्य, केंद्रशासित प्रदेशों को अवैध तरीके से गोद लेने में संलिप्त पाए गए गैर सरकारी संगठन, या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।


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