बाबा बजरंग दास और संपूर्णानंद कहा कि केवट ने प्रभु श्रीराम से कहा "कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना "
कादीपुर सुलतानपुर।श्री राम कथा में 4 दिन बाबा बजरंग दास और संपूर्णानंद कहा कि केवट ने प्रभु श्रीराम से कहा
"कहहि तुम्हार मरमु मैं जाना " केवल इतना ही नहीं, इस बार केवट इस अवसर को किसी भी प्रकार हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। उसे याद था कि शेषनाग क्रोध कर के फुंफकारते थे और मैं डर जाता था। अबकी बार वे लक्ष्मण के रूप में मुझ पर अपना बाण भी चला सकते हैं, पर इस बार उसने अपने भय को त्याग दिया था, लक्ष्मण के तीर से मर जाना उसे स्वीकार था पर इस अवसर को खो देना नहीं। इसीलिये विद्वान सन्त श्री तुलसीदासजी ने लिखा है- (हे नाथ! मैं चरणकमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूंगा; मैं आपसे उतराई भी नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगन्ध है, मैं आपसे बिल्कुल सच कह रहा हूं। भले ही लक्ष्मणजी मुझे तीर मा'र दें, पर जब तक मैं आपके पैरों को पखार नहीं लूँगा हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूंगा)....तुलसीदासजी आगे और लिखते हैं -
केवट के प्रेम से लपेटे हुये अटपटे बचन को सुन कर करुणा के धाम श्री रामचन्द्रजी जानकी और लक्ष्मण की ओर देख कर हंसे। जैसे वे उनसे पूछ रहे हैं- कहो, अब क्या करूं, उस समय तो केवल अंगूठे को स्पर्श करना चाहता था और तुम लोग इसे भगा देते थे पर अब तो यह दोनों पैर मांग रहा है केवट बहुत चतुर था। उसने अपने साथ ही साथ अपने परिवार और पितरों को भी मोक्ष प्रदान करवा दिया। तुलसीदासजी लिखते हैं- चरणों को धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणामृत का पान करके उसी जल से पितरों का तर्पण करके अपने पितरों को भवसागर से पार कर फिर आनन्दपूर्वक प्रभु श्री रामचन्द्र को गंगा के पार ले गया...उस समय का प्रसंग है... जब केवट भगवान् के चरण धो रहे हैं। बड़ा प्यारा दृश्य है, भगवान् का एक पैर धोकर उसेनिकालकर कठौती से बाहर रख देते हैं, और जब दूसरा धोने लगते हैं तो पहला वाला पैर गीला होने से जमीन पर रखने से धूल भरा हो जाता है।
केवट दूसरा पैर बाहर रखते हैं, फिर पहले वाले को धोते हैं, एक-एक पैर को सात-सात बार धोते हैं।
फिर ये सब देखकर कहते हैं, प्रभु, एक पैर कठौती में रखिये दूसरा मेरे हाथ पर रखिये, ताकि मैला ना हो।
जब भगवान् ऐसा ही करते हैं तो जरा सोचिये...क्या स्थिति होगी, यदि एक पैर कठौती में है और दूसरा केवट के हाथों में, भगवान् दोनों पैरों से खड़े नहीं हो पाते बोले- केवट मैं गिर जाऊंगा? केवट बोला- चिन्ता क्यों करते हो भगवन्....दोनों हाथों को मेरे सिर पर रख कर खड़े हो जाईये, फिर नहीं गिरेंगे...जैसे कोई छोटा बच्चा है जब उसकी मां उसे स्नान कराती है तो बच्चा मां के सिर पर हाथ रखकर खड़ा हो जाता है, भगवान् भी आज वैसे ही खड़े हैं...भगवान् केवट से बोले- भईया केवट! मेरे अन्दर का अभिमान आज टूट गया...केवट बोला- प्रभु! क्या कह रहे हैं? भगवान् बोले- सच कह रहा हूं केवट, अभी तक मेरे अन्दर अभिमान था, कि.... मैं भक्तों को गिरने से बचाता हूं पर..आज पता चला कि, भक्त भी भगवान् को गिरने से बचाता है। इस अवसर पर हरि पांडे, रामू, दिवाकर पांडे, मनोज पांडे, विजय यादव, प्रधान मोहम्मद शादाब, जावेद अहमद, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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