पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन ,कल शाम घर पर "अचानक बेहोश" होने के बाद अस्पताल में ली अंतिम सांस
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया. यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली ने दी.
एम्स ने प्रेस रिलीज में बताया कि 92 वर्षीय मनमोहन सिंह को गुरुवार की शाम घर पर "अचानक बेहोश" होने के बाद गंभीर हालत में एम्स के आपातकालीन विभाग लाया गया था.
मनमोहन सिंह लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे और उनकी व्यक्तिगत छवि काफी साफ-सुथरी रही.
भारत में आर्थिक सुधारों का श्रेय उन्हें ही जाता है. फिर चाहे उनका 2004 से 2014 का प्रधानमंत्री का कार्यकाल रहा हो या फिर इससे पूर्व वित्त मंत्री के रूप में उनका कामकाज.
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता डॉ मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर की रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टर कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचा सके। पूर्व पीएम के निधन पर पूरे 7 दिन के राष्ट्रीय घोषित किया है। वहीं कई राज्यों की सरकारों ने स्कूल कॉलेज बंद करने का आदेश जारी किया है।
पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार और तेलंगाना की और रेवंत रेड्डी सरकार ने शुक्रवार को स्कूल-कॉलेज के अवकाश के अवकाश का आदेश जारी किया है। इसके चलते हैं कर्नाटक और तेलंगाना में आज स्कूल कॉलेज नहीं खुलेंगे।
कर्नाटक और तेलंगाना में School Holiday
जानकारी के मुताबिक, डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा कर्नाटक और तेलंगाना में 27 दिसंबर स्कूल कॉलेजों की छुट्टी रहेगी। सभी स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कर्नाटक और तेलंगाना सरकार ने यह फैसला लिया है कि राज्य के सभी स्कूल-कॉलेज शुक्रवार को बंद रहेंगे।
बता दें कि पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह का शनिवार को अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। डॉक्टर मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारो की नींव रखने वाले वैश्वीकरण और उदारीकरण को बढ़ावा देने वाले नेता के रूप में जाना जाता है।
दस साल तक रहे देश के प्रधानमंत्री
डॉ मनमोहन सिंह दस साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। इसके अलावा वो देश के पूर्व वित्त मंत्री से लेकर आरबीआई के पूर्व गवर्नर और मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रहे थे। उनके दस साल के प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल में देश कई आर्थिक सुधारों और बदलावों का साक्षी बना था।
अमेरिका के साथ परमाणु डील उनकी सरकार के फैसलों में काफी चर्चित रही थी। उस डील को करने के लिए एक वक्त वे अपनी ही सरकार में शामिल गठबंधन के घटक दलों के खिलाफ चले गए थे।
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