उत्तर प्रदेश में तीन नेताओं को मिली नई जिम्मेदारी,सामाजिक न्याय अभियान को और तेज करेगी कांग्रेस
लखनऊ। यूपी में लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में 6 सीटें पाकर उत्साहित कांग्रेस अब पूरी तरह से आगामी यूपी विधान सभा चुनावों में हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है। इसी क्रम में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पिछड़ा, मुस्लिम और दलित (पीएमडी) को अपने साथ जोड़े रखने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी के लिए नेताओं को काम भी सौंप दिया है।
तीन वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय कमेटी में शामिल करते हुए ये मंशा भी पूरी कर दी है। इसमें शाहनवाज आलम और सुशील पासी को राष्टï्रीय सचिव बनाते हुए बिहार का सह प्रभारी बनाया है। इसी तरह गुर्जर समाज से आने वाले विदित चौधरी को राष्ट्रीय सचिव बनाकर हिमाचल व चंडीगढ़ का सह प्रभारी बनाया है। कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश में लगातार सामाजिक न्याय को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। राहुल गांधी ने प्रयागराज में दो टूक कहा कि जाति जनगणना और आरक्षण में 50 फीसदी की सीमा खत्म करना उनके लिए राजनीति नहीं है। भविष्य में अगर इसकी वजह से राजनीतिक नुकसान भी होता है तो भी इसे करुंगा। इस बयान के सप्ताहभर बाद ही राष्ट्रीय सचिवों की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश की भागीदारी बढ़ा दी है। इस भागीदारी के जरिये सियासी समीकरण भी साधे गए हैं। प्रदेश की सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का तर्क है कि पिछड़े-मुसलमानों के साथ ही दलितों में पासी समाज को लेकर कांग्रेस निरंतर मुहिम चला रही है। सुशील पासी के जरिये इस मुहिम को गति दी गई है।
सह प्रभारियों में बदलाव नहीं
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के सह प्रभारियों को भी बरकरार रखा है। राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, तौकीर आलम, प्रदीप नरवाल, निलांशु चतुर्वेदी, राजेश तिवारी और सत्यनारायण पटेल पहले की तरह उत्तर प्रदेश में कार्य करते रहेंगे। इसके भी सियासी संदेश हैं।
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