पर्यटन मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध-शोध संस्थान में नवयुगारम्भ कार्यक्रम का किया शुभारम्भ
लखनऊः 05 मई, भगवान बुद्ध जी की 2585 वीं जयन्ती (बुद्ध पूर्णिमा) के अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने आज अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध-शोध संस्थान, लखनऊ में आयोजित नवयुगारम्भ कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सभी धर्म गुरू अपनी-अपनी भूमिका का पूरी निष्ठा से निर्वहन करें, तो भारत को विकसित राष्ट्र एवं विश्व गुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता।धर्म गुरू प्रयास करें कि समाज में शांन्ति बनी रहें, सामाजिक समरसता रहें, छोटे-छोटे झगडे़ं न हो , यही सच्चे अर्थों में देश एवम समाज सेवा होगी।
जयवीर सिंह ने कहां कि हम मिलकर एक-जुट होकर देश एवं समाज की भलाई की बात करें,तो ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत‘‘ का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि जैसे सभी नदियॉ अन्त में समुद्र से मिलती हैं, वैसे ही किसी भी धर्म को मानने वाले भी अन्त में एक ही जगह जाते हैं। भारत की एक समृद्ध सशक्त गौरवमयी सांस्कृति विरासत है। यहां सभी धर्मों के मानने वाले लोग रहते है। गंगा-जमुना तहजीव उ0प्र0 पर की सांस्कृति विरासत का मूल तत्व है। समाज में रहते हुए एक दूसरे से प्रेम-भाव रखते हुए यदि इस जीवन का अन्त हो तो यह एक उपलब्धि होगी।
इस अवसर पर जयवीर सिंह ने कहा कि आज विश्व तृतीय विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। जहॉ अन्य देशों ने विश्व को युद्ध दिया, वही भारत ने विश्व को बुद्ध दिया। बुद्ध का शन्ति ,समरसता का सन्देश हमेशा प्रासंगिक रहेगा। आज पूरी दुनिया भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। इस अवसर पर हम सब संकल्प करें कि आपसी मतभेदों को दूर रखते हुए विश्व को शान्ति का सन्देश दे। जिससे कि विश्व का कल्याण, हो शान्ति एवं समृद्धि आये। उपास्थित सभी महानुभावों को एवं देश-प्रदेश के लोगों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई एवं शुभकामना देता हॅू।
अन्तर्राष्ट्रीय बौध-शोध संस्थान के अध्यक्ष भदन्त शान्ति मिश्र ने कहा कि बुद्ध ने विश्व को एक मार्ग दिया। हम सभी को इस पर चलने की जरूरत हैं। सभी धर्मानुयानियों ने समय-काल परिस्थिति के अनुसार कार्य करते हुए मानव कल्याण की भावना को जीवित रखा। हमें भी वर्तमान में इसी भावना के अन्तर्गत कार्य करना है। आज देखा जा रहा है कि समाज जातियों, पंथों, समुदायों में बंट रहा है। हम सबकों एकजुट रहते हुए भारत की एकता एवं अखण्डता को बनाये रखना होगा एवं अपनी सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत करना होगा।
इस अवसर पर डॉ0 अजय कुमार जैन हारगोविन्द बौद्ध डी0पी0सिंह इत्यादि उपास्थित थे।
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