दुनिया में बढ़ता जा रहा है हिन्दी का दबदबा - ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि
- विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित हुई संगोष्ठी
सुलतानपुर। ' अपने देश में भले ही हिंदी की उपेक्षा हो लेकिन विश्व में हिंदी का दबदबा बढ़ता जा रहा है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में जहां एक ओर भाषाएं दम तोड़ रही हैं वहीं हिन्दी भाषा अपनी स्वीकार्यता और प्रासंगिकता का लोहा मनवा रही है। दुनिया की सबसे नई भाषा होने के बाद भी हिंदी का विश्व में नम्बर दो की भाषा होना इसका प्रमाण है। '
यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहीं। वह महाविद्यालय में हिंदी विभाग द्वारा विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि हिंदी साहित्य और सिनेमा के साथ ही अब रोजगार और बाजार की भाषा के रूप में भी प्रतिष्ठित हो चुकी है।
अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि कुमार ने बताया कि विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1974 को नागपुर में आयोजित हुआ । इसकी स्मृति में वर्ष 2006 से 10 जनवरी को पूरी दुनिया में 'विश्व हिन्दी दिवस' मनाया जाता है। विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरिशस में स्थित है।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा सिंह ने कहा कि आज हिंदी दुनिया की सबसे ताकतवर भाषाओं में शामिल है ।दुनिया के सभी बड़े देशों में हिंदी पढ़ाई जाती है। संचालन करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि दुनिया भर के तमाम देशों में बसे भारतीयों को एकसूत्र में बांधने में विश्व हिंदी दिवस महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस अवसर पर मुकेश कसौधन, मुस्कान,सीमा, आदि विद्यार्थियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रंजना पटेल ने हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस के अंतर को स्पष्ट करते हुए विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
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