संत ही बताते हैं भगवंत का रास्ता - बाबा बजरंगदास
- संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन का प्रवचन
कादीपुर (सुलतानपुर)। जो भगवान से विरोध कर लेता है उसकी रक्षा कोई भी नहीं कर पाता। जीव जब चारों ओर से निराश होता है तो संत उसकी सहायता करते हैं। भगवंत का रास्ता संत ही बताते हैं। यह बातें बाबा बजरंगदास ने कहीं। वह जूनियर हाईस्कूल मैदान में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान न तो परीक्षा से मिलते हैं न ही समीक्षा से उन्हें केवल प्रतीक्षा से प्राप्त किया जा सकता है। जयंत की कहानी सुनाते हुए बताया कि एकबार राम और सीता जंगल में लेटे हुए थे उसी समय प्रभु की परीक्षा लेने हेतु इन्द्र के पुत्र जयंत ने कौआ बनकर मां सीता के स्तन पर चोंच से हमला किया। जिससे खून निकल कर भगवान राम के ऊपर गिरा । राम ने तुरंत ही एक सींक का बाण उठाकर उसकी तरफ फेंक दिया। जयंत आगे आगे बाण पीछे पीछे चल रहे थे। जयंत ब्रह्मा,शिव , इन्द्र सबके पास गया लेकिन कोई भी उसकी सहायता नहीं कर पाया।ऐसे में नारद मुनि जयंत से मिले तो उन्होंने कहा कि यह बाण तुम्हें मारना चाहता तो तुरंत मार देता यह बाण तुम्हारी रक्षा करने के साथ साथ शिक्षा भी दे रहा है कि प्रभु के बैरी का कोई ठिकाना नहीं है। अब तुम्हें सिर्फ प्रभु ही बचा सकते हैं उन्हीं के पास जाओ। नारद के कहने पर जयंत प्रभु की शरण में गया और मां सीता से माफी मांगी। प्रभु ने मुस्कुराते हुए सजा के तौर पर कौआ बने जयंत की एक आंख चोटिल कर उसका उद्धार किया।
बाल व्यास सम्पूर्णानंद ने अपने प्रवचन में कहा कि हमें सदैव अच्छा कर्म करते रहना चाहिए। गलत काम करने को कोई भी प्रेरित करे उसका परित्याग करना चाहिए। परिवार के सदस्य गलत मार्ग पर चलें तो उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए न सुधरें तो त्याग कर देना चाहिए। हमेशा यह ध्यान रखें कि आपकी जैसी संगति होगी वैसे ही जीवन चलेगा ।
संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया। भजन गायक अशोक दूबे ने वाद्य कलाकार परमानंद सिंह व आशुतोष के साथ लोगों को भक्ति रस में डुबो दिया।
इस अवसर पर संयोजक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, एडवोकेट जय शंकर तिवारी, इन्द्रसेन सिंह, धीरेन्द्र बहादुर सिंह सुपर, सभासद सूर्यलाल गुप्त, राजमणि मिश्र, रमेश मोदनवाल , महेन्द्र सिंह , रिंकू पाठक आदि उपस्थित रहे।
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