आगामी 28 मार्च को मनाया जाएगा धार्मिक त्यौहार शबे बरात
अतरौलिया:आगामी 28 मार्च को धार्मिक त्यौहार शबे बरात मनाया जाएगा।इस अवसर पर दुनिया के तमाम मुसलमान जहां, मजारों,इमामबाड़ो और कब्रिस्तानो में जाकर फातिहा पढ़कर अपने माता, पिता और पुरखों की आत्मा को शांति पहुंचाने का कार्य करते हैं, वही दिन में रोजा रखकर अपने खुदा को खुश करने का कार्य भी करते हैं ।शबे बरात के शुभ अवसर पर मस्जिदें कुरान कि तिलावत और नमाज से पूरी तरह गुलज़ार हो जाती हैं। औरतें तरह-तरह के पकवान पकाकर अपने रब की इबादत घरों में रहकर अंजाम देती हैं। शबे बरात के सारे पकवानों में विशेष तौर पर हलवा मशहूर होता है ।औरतें इसे बहुत ही शौक से बनाती हैं, और बुजुर्गों के नाम फातिहा भी दिलाती है ,शबे बरात के मौके पर कब्रिस्तान जाकर फातिहा पढ़ना पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेहे वसल्लम की प्यारी सुन्नत है। इसी सुन्नत पर अमल करते हुए दुनिया के कोने कोने से मुसलमान कब्रिस्तान जाकर मुर्दों के लिए ईसाले सवाब करते हैं। पैग़ंबरे इस्लाम शाबान की 15वीं रात को जन्नतुल बकी कब्रिस्तान तशरीफ ले गए थे। हजरत आयशा सिद्दीका रजि अल्लाह ताला अन्हा से रवायत है कि एक रात मैं आपको अपने पास मौजूद ना पाई ,आप की तलाश में निकली। मैंने देखा कि आप जन्नतुल बकी कब्रिस्तान में आसमान की जानिब हाथ उठाकर गुनहगारों की बख्शीश की दुआएं मांग रहे हैं। हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम ने फरमाया ऐ आयशा क्या तुम्हें यह डर था कि अल्लाह और उसके रसूल तुम्हारे साथ जियादती करेंगे? मैंने अर्ज किया या रसूलल्लाह ! मेरे दिल में यह ख्याल आया कि आप किसी दूसरी अहलिया के पास तश्रीफ ले गए हैं। आप सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया !अल्लाह ताला शाबान की 15वीं रात में अपनी खास रहमत आसमाने दुनिया पर बिखेरता है। और कबीला बनी कलब की बकरियों के बालों से ज्यादा गुनहगारों की बख्शीश कर देता है।एक मौका पर आप ने कहा। ऐ आयशा !क्या तुम्हें मालूम है? इस रात में क्या होता है ।जो बच्चा इस साल पैदा होने वाला है, इस रात में लिखा जाता है। जो आदमी मरने वाला है, इसमें उसका नाम लिखा जाता है। और इस रात में उनके आमाल भी उठाए जाते हैं। उन सब की रोजी भी उतार दी जाती है।आप ने कहा शाबाश मेरा महीना है। और रमजान अल्लाह ताला का महीना है। इस रात अल्लाह ताला उन सारे गुनाहगारो के गुनाहों को बख्श देता है ।जो भी खड़े या बैठे अल्लाह का जिक्र करते हैं। यह रात नेजात वाली और बक्शीश वाली रात है। इस रात अल्लाह अच्छे काम करने वालों को अपनी रहमत से नवाजता है। मगर शराबी ,बलात्कार ,मां ,बाप के नाफरमान, रिश्ता नाता काटने वालों की तरफ नजर नहीं करता है। झूठ गीबत चुगल खोरी,किना ,झगड़े फसाद से बचने की हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए। शरीयत ने ढोल ,बाजे ,आतिशबाजी, फुलवारी,और पटाखे दागने से मना किया है ।ऐसी पवित्र रात में हमें हर उस काम से बचना होगा ,जो किसी को तकलीफ पहुंचाने का सबब बने। अगर हमने ऐसी रात में इस तरह का काम अंजाम दिया तो यही अल्लाह को खुश रखने का बेहतरीन जरिया होगा ।तो हमारी रात की इबादत और दिन का रोजा कुबूल हो जाएगा।यह उक्त बातें
मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी उस्ताद मदरसा अरबिया फैज़े नईमी,सरैया पहाड़ी,एवं पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया आजमगढ ने कहीं।
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