जानवरों की तरह चार पैरों पर चलते है ये लोग, अब रिवर्स इवोल्यूशन का बन रहे है बड़ा उदाहरण
तुर्की में रहने वाला एक परिवार जानवरों की तरह चार पैरों पर चलने को मजबूर है। शुरूआत में डॉक्टर और वैज्ञानिक इसकी वजह नहीं समझ पाए थे।वैज्ञानिकों ने इसे बैकवर्ड इवोल्यूशन यानी पीछे जाते हुए इंसानी विकास का नाम दिया था, मगर अब उन्हें माजरा समझ आ गया है। यह परिवार तुर्की के एक छोटे से गांव में रहता है और इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे हजारों सालों के मानव सभ्यता के विकास का इस पर कोई असर नहीं हुआ है।
इस बीमारी की वजह से ऐसा हुआ हाल
जानकारी के मुताबिक रेसिट और हैटिस उलास के पिरवार को लंबे वक्त तक दुनिया की नजरों से दूर रहा है। साल 2005 में जब ब्रिटिश वैज्ञानिक ने एक तुर्की प्रोफेसर का अप्रकाशित पेपर देखा तो उनके होश उड़ गए। इस पेपर में वैज्ञानिक ने उलास परिवार के बारे में बात की थी जो हाथ और पैरों का सहारा लेकर चलता है। ब्रिटिश वैज्ञानिक का दावा है कि इस परिवार को यूनर टैन सिंड्रोम है, जिसमें लोग पैर के साथ-साथ हाथों का इस्तेमाल करके भी चलने लगते है।
19 में से पांच बच्चों को समस्या
बैकवर्ड इवोल्यूशन से शुरू हुई थ्योरी जब बीमारी तक आई तब वैज्ञानिकों की इस परिवार के बारे में जानने में रूचि बढ़ी। तब जाकर पता चला कि हाथ-पैर का इस्तेमाल करके चलने वाले इस परिवार को जेनेटिक समस्या है। परिवार के दो भाई-बहनों को कोजेनेटिल ब्रेन इमपेयरमेंट और सेरिबेलर एन्टाक्सिया की दिमागी समस्या है, जिसमें दो पैरों पर संतुलन बना पाना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए ये हाथों का सहारा लेकर भी चलते हैं. बता दें कि रेसिट और हैटिस उलास के 19 बच्चों में से 5 ऐसे निकले, जो दो की जगह चार यानी हाथ और पैर का इस्तेमाल कर चलते है।
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