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पंडित जवाहरलाल नेहरू का बच्चों के प्रति विशेष स्नेह और प्रेम उनके जीवन और संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था....

GGS NEWS 24|पंडित जवाहरलाल नेहरू का बच्चों के प्रति विशेष स्नेह और प्रेम उनके जीवन और संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, नेहरू ने देश की आज़ादी के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने कई बार जेल की सजा भुगती, परंतु उनके मन में हमेशा बच्चों का विशेष स्थान था।

नेहरू का मानना था कि बच्चे देश का भविष्य हैं, और एक समृद्ध, शिक्षित, और खुशहाल समाज बनाने के लिए बच्चों का विकास और उनकी शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे हमेशा यह कहते थे कि बच्चों का मन निर्मल और पवित्र होता है, और उन्हें सही मार्गदर्शन देकर एक अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है।

अपने संघर्षपूर्ण जीवन में, उन्होंने कई बार बच्चों से मुलाकात की, उनके साथ समय बिताया, और उनकी बातें सुनीं। बच्चों के प्रति उनके इस प्रेम के कारण ही वे "चाचा नेहरू" के नाम से प्रसिद्ध हुए। जेल में रहते हुए भी उन्होंने बच्चों को पत्र लिखे, जिनमें उन्होंने उन्हें प्रकृति, समाज और ज्ञान के महत्व के बारे में समझाया।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद भी, नेहरू ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले। उन्होंने आधुनिक भारत की शिक्षा व्यवस्था की नींव रखी और बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण सुविधाओं को बढ़ावा दिया। उनके विचार थे कि यदि बच्चों को अच्छा मार्गदर्शन और शिक्षा मिलेगी, तो वे देश को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा सकते हैं।

यही कारण है कि नेहरू के जन्मदिन, 14 नवंबर, को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उनके उस अमिट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जो उन्होंने बच्चों के प्रति दिखाया था। नेहरू जी का यह सपना था कि हर बच्चा खुशहाल, स्वस्थ और शिक्षित हो, ताकि वह भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक बन सके।


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