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53सालों के बाद निकाली जा रही है नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ की दो दिवसीय रथयात्रा, कल पहुंचेंगे गुंडिचा मंदिर, राष्ट्रपति ने किया शुभारंभ

     ओडिशा के पुरी में हर साल की तरह इस बार भी आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानि आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो रही है। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक श्रद्धालुओं के बीच रहते हैं और भगवान अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजकर गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। 


वैसे तो भगवान की यात्रा एक ही दिन की होती है, लेकिन विशेष खगोलीय घटनाओं के कारण इस बार यह यात्रा दो दिनों तक चलेगी, इससे पहले साल 1971 में ऐसा ही संयोग बना था।
आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (7 जुलाई) को भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर बलराम जी चलते हैं। उनके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं। अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा में जो व्यक्ति श्री जगन्नाथ जी के नाम का कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, वह पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति भगवान के नाम का कीर्तन करता हुआ रथ यात्रा में सम्मिलित होता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
देश-विदेश से हर साल लाखों की संख्या में भक्त इस यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी धाम पहुंचते हैं। रथ यात्रा में इस बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी, ओडिशा की नई सरकार ने राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा के लिए विशेष व्यवस्था लागू की है, राष्ट्रपति मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले से आती हैं। इस कारण उनके लिए यह यात्रा और भी ज्यादा प्रिय हो जाती है। पुरी मंदिर के एक अधिकारी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ यात्रा के रथ सोमवार यानी 8 जुलाई को गुंडीचा मंदिर पहुंचेंगे, अगर किसी वजह से इसमें देरी होती है तो रथ मंगलवार को मंदिर पहुंचेंगे।


भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ 8 से 15 जुलाई तक गुंडिचा मंदिर में रहेंगे। यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके बाद 16 जुलाई को रथ यात्रा का समापन हो जाएगा और तीनों देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट जाएंगे।


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