ओमप्रकाश राजभर, कृष्णा, पल्लवी पटेल सहित कई नेता गिरफ्तार
लखनऊ। अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की जयंती पर कार्यक्रम की परमिशन को लेकर लखनऊ में छिड़े घमासान के बीच अपना दल कमेरावादी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल, विधायक पल्लवी पटेल, सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, महान दल के नेता केशव देव मौर्य और शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
ये नेता इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान जाने पर अड़े थे। काफी देर तक समझाने-बुझाने के बाद भी जब नेता अपनी मांग से पीछे नहीं हटे तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया है। लखनऊ के विभूति खंड स्थित होटल हयात पर बड़ी संख्या में अपना दल कमेरावादी के कार्यकर्ता भी मौजूद हैं। पुलिस उन्हें समझाने बुझाने का प्रयास कर रही है।
इसके ठीक पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृष्णा पटेल ने अपनी बेटी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के प्रति गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि उनकी गलती माफ करने लायक नहीं है। ऐसे मेरे संस्कार नहीं हैं। यह लड़ाई अब घर की नहीं वर्चस्व की हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद से परेशान किया जा रहा है।
विधायक पल्लवी पटेल ने भी इस मुद्दे पर अपने गुस्से का इजहार किया। पल्लवी ने कहा कि हमे हमारे नेता सोनेलाल पटेल जी की जयंती मनाने की इजाजत नहीं मिली। तीन-तीन लोकेशन को रद्द कर दिया गया। पूछने पर अधिकारी बताते हैं कि ऊपर से ऑर्डर है। गृह विभाग तो मुख्घ्मंमत्री जी के पास है। क्या यह उनका आदेश था या नीचे किसी अधिकारी का। क्या भाजपा के शीर्ष नेता को हराने की वजह से ऐसा किया गया। आखिर हमें इजाजत न देने का आधार क्या है?
सिराथू विधानसभा क्षेत्र से विधायक पल्लवी पटेल ने आरोप लगाया कि पिछले विधानसभा चुनाव का उनसे बदला लिया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि किस आधार पर कार्यक्रम स्थल नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मैं उसी जगह पर कार्यक्रम करुंगी। सोनेलाल पटेल जी की जयंती मनाने से हमे कोई रोक नहीं सकता। हमने मरकरी हॉल के लिए पैसा जमा किया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही पुलिस ने वहां बसें और गाड़ियां बुला ली थीं। कृष्णा, पल्लवी पटेल, ओमप्रकाश राजभर, केशव देव मौर्य, सुभाषिनी यादव सहित अन्य नेता जैसे ही होटल से बाहर निकले पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद पल्लवी वहां धरने पर बैठ गईं। वह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान जाने पर अड़ी थीं। अधिकारियों ने नेताओं को वहां न जाने के लिए समझाने का प्रयास किया लेकिन जब वे नहीं माने तो हिरासत में ले लिया।
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