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कड़ाके की ठंडक : मौसम की मार पर शासन व प्रशासन बताएं आखिर कैसे छात्र जाएं स्कूल

आजमगढ़ : हर साल की तुलना में इस वर्ष कड़ाके की ठंड नवंबर दिसंबर को छोड़कर 15 जनवरी से कड़ाके की ठंड पड़ना शुरू हो गई। एक बार तो ऐसा लगा कि इस साल ठंड नदारद रहेगी, परंतु प्रकृति का ऐसा लीला की ठंडक अंत में पूरे शीतलहर के साथ पड़ना शुरू हो गई, जिससे आम जनमानस पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा हर जीव जंतु के साथ इंसान भी घर से निकलना पसंद नहीं कर रहा।

जब ऐसे में जिले तापमान 10 सेंटीग्रेड से 6 सेंटीग्रेड के बीच में हो तो बच्चों की कॉलेजेस आने जाने की समस्या भी बनी हैं, हालांकि, प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई गाइडलाइन विद्यालयों को बंद करने का नहीं है। प्रशासन मौसम खुलने का इंतजार कर रही है ,लेकिन इस कड़ाके की ठंड में सामने उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षाएं भी होनी है,ऐसे में विद्यालय के तरफ से बोर्ड के छात्र छात्राओं को लगातार विद्यालय में बुलाने का कार्य किया जा रहा है। निरंतर बच्चे निर्धारित समय पर घर से बाहर निकल जाते हैं। मौसम की विपरीत दशा को देखते हुए परिजनों में यह चिंता का विषय बना हुआ है, ठंडा कितना भयंकर है कि कुछ भी हो सकता है , ऐसे में प्रशासन को भी इसपर विशेष कर ध्यान देना चाहिए। जीजीएस News24 ने स्थानीय सैकड़ों अभिभावकों से बातचीत किया गया तो अभिभावकों ने बताया कि इस समय विद्यालय में जा रहे छात्र छात्राओं के लिए बड़े मुश्किल का समय है । इससे पहले की पूरी पढ़ाई करोना काल में चौपट हो गई थी , अब कड़ाके की ठंड भी पढ़ाई पर अपना मोहर लगाने के लिए तैयार है। अभिभावकों ने यह भी बताया कि, जब ठंडक नियमता अपने समय पर पडती थी तो प्रशासन इस पर शक्ति लेते हुए विद्यालयों के बंद होने का निर्देश दे देता था परंतु , इस समय अचानक पड़ रही ठंडक, निरंतर पड़ने वाली ठंडक से कहीं ज्यादा है और प्रशासन को भी बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देकर उचित कदम उठाना चाहिए ।



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